मालेगांव ब्लास्ट केस: NIA कोर्ट में पेश हुईं प्रज्ञा ठाकुर, जज को दिया ये जवाब!

भोपाल की नवनिर्वाचित भाजपा सांसद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर आज मालेगांव बम धमाके मामले में मुंबई में NIA अदालत में पेश हुईं. इस दौरान एनआईए के विशेष जज ने उनसे पूछा, 'अब तक जांच किए गए सभी गवाहों ने कहा है कि 29 सितंबर 2008 को एक धमाका हुआ था जिसमें कई लोगों की मौत हो गई थी. इस बारे में आपका क्या कहना है?' जिस पर उन्‍होंने जवाब दिया- 'मुझे नहीं पता.'

क्या था मालेगांव ब्लास्ट केस
मालेगांव में ब्लास्ट 29 सितंबर 2008 में हुआ था. ब्लास्ट के लिए बम को मोटर साइकिल में लगाया गया था. इस ब्लास्ट में 7 लोग मारे गए थे और 100 से अधिक लोग घायल हुए थे. प्रारंभ में घटना की जांच महाराष्ट्र पुलिस की एटीएस ने की थी. बाद में मामला जांच के लिए एनआईए को सौंप दिया गया. एनआईए ने अपनी जांच में यह पाया कि घटना की साजिश अप्रैल 2008 में भोपाल में रची गई थी. जबकि 24 अक्टूबर, 2008 को इस मामले में स्वामी असीमानंद, कर्नल पुरोहित और प्रज्ञा ठाकुर को गिरफ्तार किया गया था तो 3 आरोपी फरार दिखाए गए थे. प्रज्ञा ठाकुर की गिरफ्तारी का आधार ब्लास्ट में उपयोग की गई मोटर साईकिल थी. यह मोटर साईकिल उनके (प्रज्ञा ठाकुर नाम रजिस्टर्ड थी. प्रज्ञा ठाकुर लगभग नौ साल जेल में रहीं. बहरहाल, अप्रैल 2017 में साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को 9 साल कैद में रहने के बाद सशर्त जमानत मिल गई.


भोपाल से बनी हैं सांसद
प्रज्ञा ठाकुर को भाजपा ने भोपाल से लोकसभा चुनावों में उतारा था, जहां उनका मुकाबला कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह से हुआ. इस दौरान प्रज्ञा ठाकुर ने उन्हें साढ़े 3 लाख से ज्यादा वोटों से हराया. भोपाल लोकसभा क्षेत्र में 8 विधानसभा सीट हैं. भाजपा को इनमें से 6 में जीत मिली तो कांग्रेस सिर्फ दो विधानसभा सीट पर लीड ले पाई.

भड़काऊ भाषणों के लिए सुर्खियों में रहीं है प्रज्ञा ठाकुर
प्रज्ञा ठाकुर मध्य प्रदेश के चंबल इलाके में स्थित भिंड जिले में पली बढ़ीं. वो राजावत राजपूत हैं. उनके पिता आरएसएस के स्वयंसेवक और पेशे से आयुर्वेदिक डॉक्टर थे. इतिहास में पोस्ट ग्रेजुएट प्रज्ञा हमेशा से ही दक्षिणपंथी संगठनों से जुड़ी रहीं. वह राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की छात्र इकाई अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की सक्रिय सदस्य थीं और विश्व हिन्दू परिषद की महिला विंग दुर्गा वाहिनी से जुड़ी थीं.

वो कई बार अपने भड़काऊ भाषणों के लिए सुर्खियों में रहीं. 2002 में उन्होंने जय वंदे मातरम जन कल्याण समिति बनाई. स्वामी अवधेशानंद गिरि के संपर्क में आने के बाद प्रज्ञा नए अवतार में नजर आईं. अवधेशानंद का राजीनितिक गलियारे में खासा प्रभाव था. इसके बाद उन्होंने एक राष्ट्रीय जागरण मंच बनाया और इस दौरान वह एमपी और गुजरात के एक शहर से दूसरे शहर जाती रहीं.

साध्वी का भाषण ऐसा होता था कि वह सभी को बांधे रखती थी. शुरुआत में उनके भाषण का असर भोपाल, देवास, इंदौर व जबलपुर तक ही सीमित रहा. बाद में अचानक उन्होंने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद छोड़ दिया और वह साध्वी बन गई. गांव-गांव जाकर हिन्दुत्व का प्रचार करने लगी. उन्होंने अपनी कार्यस्थली सूरत को बनाया और वहीं पर एक आश्रम भी बनवाया. हिन्दुत्व के प्रचार के कारण वह बीजेपी के नेताओं को प्रभावित करने लगी और राजनीति में उनका वर्चस्व बढ़ता गया.