अफीम सलाहकार समिति की बैठक में शामिल हुए विधायक सखलेचा, दिए महत्वपूर्ण सुझाव

नीमच में अफीम की दूसरी यूनिट स्वीकृत हुई है। उसमें प्रत्येक लाइसेंस धारी किसानों को 5-10 हजार रूपए का शेयर दे दिया जाए। ऐसा करने से उन्हें बोनस मिलेगा और मुल्य वृद्धी जो विशय हर साल उठता है वह स्थाई रूप खत्म हो जाएगा। अनैतिक तरीके का मादक पदार्थो की तस्करी होना भी बंद हो जाएगी।

 

यह बात विधायक ओमप्रकाश सखलेचा ने केंद्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो कार्यालय में आयोजित सलाहकार समिति की बैठक में कही। आगामी फसल वर्ष 2019-20 की अफीम नीति के संबंध में सलाहार समिति की बैठक का आयोजन हुआ। जावद विधायक ओमप्रकाश सखलेचाए नीमच विधायक दिलीपसिंह जी परिहारए मनासा विधायक अनिरूद्ध माधव मारू एवं नारकोटिक्स उप आयुक्त की उपस्थिति में बैठक का आयोजन हुआ। बैठक में विधायक सखलेचा ने बिंदूवार सुझाव दिए उन्होंने कहा 

 

नवीन यूनिट के साथ ही फोर्मेसी कंपनिया है जो अफीम के उत्पादन से दवाईयां बनाती है उन्हें आंमत्रित करे। ताकि अफीम का फारवर्ड इंटीग्रेसन से यूनिट का फायदा भी कई गुना बढेगा। अफीम की स्थानीय स्तर पर ही खपत हो जाए और इंपोर्ट करने की आवष्यकता नहीं रहे। ऐसा करने से जिले में रोजगार के संसाधन भी बढेंगे। साथ ही अफीम प्रोडक्षन होने लगेगी तो उसकी भी मांग बढेगी।

3. विभाग द्वारा की जाने वाली कच्चा तौल की प्रक्रिया बंद करना चाहिए। कारण हर किसान के पास सही तौल के इलेक्ट्रोनिक मषीन नहीं होती है। इससे वह अनुमानित तौल मुखिया को नोट करता है। बाद में जब विभाग द्वारा इसकी जांच की जाती है। उसमें थोडी अफीम भी कम अथवा ज्यादा निकलती है तो किसान को परेषान किया जाता है। अतः कच्चा तौल बंद कर उचित सहयोग प्रदान करे। 

4. कई सालों की चर्चा के बाद विभाग ने आॅन द स्पाॅट अफीम की क्वालिटी जांचने का प्रयोग एक साल से कर लिया है। सफल परीक्षण के बाद विभाग द्वारा पांच मषीन की खरीदी के लिए निविदा जारी की जा रही है। चुंकि नीमच डीएनसी में करीब 8 तौल कंेंद्र है। अगर आॅन द स्पाॅट अफीम की क्वालिटी जांच वाली मषीन की हर तौल केंद्र अनुसार खरीदी कर ली जाए। तो तौल केंद्र पर अफीम की फाइनल जांच हो जाएगी। ऐसा करने से विभाग  अलग जगह की जांचों का खर्चा, स्टाॅप, ट्रांसपोर्ट के साथ ही चैकीदारी की व्यवस्था से बचत होगी। साथ ही अफीम फैक्टरी में जांच में गडबडी का आरोप जो विभाग पर लगता रहता है उससे मुक्ति मिलेगी। अतः तौल केंद्र अनुसार विभाग आॅन द स्पाॅट अफीम की क्वालिटी जांच वाली मषीन की खरीदी की स्वीकृति प्रदान कर उचित सहयोग प्रदान करे। 

5. ऐसे किसान जिनके खेतोें में चोरी की घटना हुई। पुलिस एवं केंद्रीय नारकोटिक्स की जांच में वह सही पाई गई। कई घटनाओं का पुलिस प्रषासन द्वारा खुलासा किया गया और आरोपी भी गिरफ्तार कर लिया गया। कई प्रकरण का न्यायालय में भी निराकरण हो चुका है। लेकिन विभाग द्वारा जारी अफीम नीति में उनका अफीम खेता का लाइसेंस निरस्त कर दिया गया। तो क्या आप उन किसानों को चोर मानते है। इस पर विचार कर चोरी की घटना में जांच उपरांत सहीं पाए जाने वाले किसानों को पुनः अफीम खेती करने का लाइसेंस जारी किया जाए। 

6. जिन किसानों ने पानी की कमी या प्राकृतिक कारण के चलते स्वेच्छा से अपना लाइसेंस जमा करा दिया था लेकिन वर्तमान में वह पुनः अफीम की खेती करना चाहता है। ऐसे किसान को लाइसेंस जारी कर उचित सहयोग प्रदान करे। अगर इन किसानों का रिकार्ड भी जांचा जाता है तो इन्होंने स्वेच्छा से लाइसेंस जमा करने से पहले हर साल अच्छी औसत से अफीम विभाग को दी है। अतः जांच करने के साथ ही सहानुभुति प्रेशित कर ऐसे किसानों को पुनः अफीम खेती का लाइसेंस दिया जाए। 

7. विभाग द्वारा अफीम की टेस्ट में मार्फीन से उसकी वेल्यू तय की जाती है लेकिन किसानों को अफीम के अच्छे उत्पादन के संबंध में किसानों को कोई प्रषिक्षण नहीं दिया जाता। जबकि विभाग द्वारा अफीम उत्पादक गांव गांव जाकर किसानों को प्रषिक्षण दिया जाना चाहिए। कौन कौन से दवाई के छिडकाव करना चाहिए। किस किस्म का बीज का उपयोग करना चाहिए। अगर विभागीस एवं कृशि वैज्ञानिकों द्वारा किसानों को यह प्रषिक्षण पहले से मिल जाएगा तो उसी अनुसार अफीम खेती करेगा। हमारा सुझाव तो यह भी रहेगा विभाग को कृशि विज्ञान केंद्र में उदाहरण के लिए विभाग को अफीम खेती कर किसानों को प्रषिक्षित करना चाहिए।

 

विधायक परिहार एवं विधायक मारू ने भी अपने सुझाव रखे। बैठक में महाप्रबंधक आनंद कुमार, सहायक नारकोटिक्स आयुक्त सुगनचंद रजनावदिया, अधीक्षक महेंद्रसिंह, कांग्रेस नेता उमारावसिंह, जनपद सदस्य कन्हैयालाल चारण, राकेश पाटीदार सहित अन्य जनप्रतिनिधी एवं किसान उपस्थित थे।