दुख में विचलित नहीं हो वही व्यक्ति जीवन में सफल होता है - साध्वी हर्षप्रिया

जैन भवन में चार्तुमास धर्म ज्ञान गंगा प्रवाहित -

नीमच । दुख में विचलित नहीं हो वही व्यक्ति जीवन में सफल होता है धुप, छांव, रात दिन का उतार चढ़ाव हर व्यक्ति के जीवन में आता है इसमें परेशान नहीं होना चाहिए । दुख आया तो कर्मो का फल है लेकिन दुख आया तो सुख आना भी निश्चित है । यह पावन उद्गार साध्वी मुक्तिप्रिया की सुशिष्या साध्वी हर्ष प्रिया श्रीजी म.सा. ने व्यक्त किए वे गुरूवार सुबह 9 बजे जैन भवन में आयोजित चार्तुमासिक धर्मसभा में बोल रहे थे । उन्होने कहा कि यशोविजय मसा ने कहा था कि जीवन में अनेक प्रकार के उतार चढ़ाव, धुप छाया, लाभ हानि, मान अपमान, मिठास खटास, सुख दुख ये सब आते जाते रहते है दोनों ही परिस्थिति में मनुष्य को स्थिर रहना चाहिए दुख आये तो उसे अपने पापों का कर्म फल माने उसे अनुभव कर दुखी नहीं हो । शुभ कर्म पुण्य का फल होता है किसी की भलाई करना पुण्य है किसी को दुख देना पाप है पाप अधोगति में ले जाता है पुण्य सद्गति की ओर ले जाता है मनुष्य ही पाप कर्मो की गलती करता है । उसके कर्मो का फल अवश्य मिलता है । पाप भारी होते है वे आत्मा को दुर्गति की ओर ले जाते है पुण्य हल्के होते है व आत्मा को सद्गति की ओर ले जाते है परमात्मा की भक्ति का फल कभी निरर्थक नहीं जाता है । हमारे पुण्य करने से पाप कर्मो की सजा कम हो जाती है ये कभी मत सोचना कि में प्रतिदिन पूजा करता हूं परमात्मा ध्यान नहीं रखता है परमात्मा क्रिकेट एम्पायर की तरह निष्पक्ष रहता है खिलाड़ी आऊट होता है तभी एम्पायर उंगली उठाता है परमात्मा जगत पिता है मनुष्य के कर्मो को उसे ही फल भोगना पड़ता है । दर्शन ईश्वर श्रृष्टि का सर्जन है वह दृष्टा है ईश्वर ने ही जगत बनाया इसका अर्थ पहले संसार अनादिकाल से चला आ रहा है ।