9 वर्षीय नाबालिग से बलात्कार करने वाले आरोपी को 13 वर्ष का सश्रम कारावास!

मनासा। श्री अखिलेश कुमार धाकड़, अपर सत्र न्यायाधीश, मनासा द्वारा एक आरोपी को 9 वर्षीय नाबालिग से बलात्कार करने के आरोप का दोषी पाकर कुल 13 वर्ष सश्रम कारावास एवं कुल 3,000 जुर्माने से दण्डित किया।

जिला लोक अभियोजन अधिकारी श्री आर. आर. चौधरी द्वारा घटना की जानकारी देते हुए बताया कि घटना लगभग 3 वर्ष पुरानी होकर दिनांक 26.08.2016 दिन के 4 बजे ग्राम पिपल्या रावजी की हैं। घटना दिनांक को 9 वर्षीय पीडिता उसकी दोनों बहनों के साथ घर के बाहर खेल रहीं थी, तभी गांव का रहने वाला आरोपी संतोष आया और मौका पाकर पीडिता को उसके घर के अन्दर ले गया और पीडिता को डरा-धमका कर उसके साथ बलात्कार किया। शाम को जब पीडिता के माता-पिता घर आये तो पीडिता ने उसके साथ हुई घटना बताई, जिसकी रिपोर्ट पीडिता की माता नें पुलिस थाना मनासा में की

जिस पर से अपराध क्रमांक 343/16, धारा 376, 506 भादवि तथा धारा 5/6 लैंगिक अपराधो से बालको का संरक्षण अधिनियम, 2012 (पॉक्सो एक्ट) के अंतर्गत दर्ज किया गया। पुलिस मनासा द्वारा विवेचना के दौरान पीड़िता का मेडिकल कराकर एवं उसके उम्र संबंधित दस्तावेज प्राप्त कर शेष विवेचना पूर्ण कर चालान मनासा न्यायालय में प्रस्तुत किया। प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए शासन द्वारा प्रकरण को जघन्य एवं सनसनीखेज चिन्हित किया गया। 

श्री जगदीश चौहान, अतिरिक्त जिला अभियोजन अधिकारी द्वारा अभियोजन की ओर से 9 वर्षीय नाबालिग पीड़िता, उसकी माता, पीडिता को नाबालिक प्रमाणित करने के लिए स्कॉलर रजिस्टर प्रस्तुत करने वाले अध्यापक, मेडिकल करने वाले डॉक्टर सहित सभी आवश्यक गवाहों के बयान न्यायालय में कराकर आरोपी के विरूद्ध दुष्कर्म करने के अपराध को संदेह से परे प्रमाणित कराकर दण्ड के प्रश्न पर तर्क रखा गया कि आरोपी द्वारा 9 वर्षीय पीडिता के साथ दुष्कर्म किया

इसलिए उदाहरण स्वरूप आरोपी को कठोर दण्ड से दण्डित किया जाये। श्री अखिलेश कुमार धाकड़, अपर सत्र न्यायाधीश, मनासा द्वारा आरोपी संतोष पिता रोडूनाथ नाथबाबा, उम्र-22 वर्ष, निवासी-ग्राम बर्डियाजागीर (पिपल्यारावजी), थाना मनासा, जिला नीमच को धारा 5/6 लैंगिक अपराधो से बालको का संरक्षण अधिनियम, 2012 (पॉक्सो एक्ट) में 10 वर्ष के सश्रम कारावास व 2000रु जुर्माना तथा धारा 506 भादवि में 3 वर्ष के सश्रम कारावास व 1000रु जुर्माना, इसप्रकार आरोपी को कुल 13 वर्ष के सश्रम कारावास एवं 3,000रू. जुर्माने से दण्डित किया तथा पीडिता को 3000रु प्रतिकर प्रदान करने का आदेश भी दिया। न्यायालय में शासन की ओर से पैरवी श्री जगदीश चौहान, अतिरिक्त जिला लोक अभियोजन अधिकारी द्वारा की गई।