स्कूल के नाम से डरता और रोता है बच्चा तो सतर्क हो जाएं, इस चीज का हो रहा है शिकार

3 साल का होते ही बच्चे को लेकर माता-पिता की चिंता होती है उसके स्कूल जाने की। प्ले स्कूल में खेल-खिलौने ऐसे बच्चों का ध्यानाकर्षित तो करते हैं और बच्चा धीरे-धीरे वहां एडजेस्ट भी हो जाता है। लेकिन असली परेशानी तब होती है जब बच्चा केजी या पहली कक्षा में पहुंच रहा हो लेकिन स्कूल जाने के नाम से ही उदास, परेशान और डरकर रोने लगता हो। ऐसा एक दो बार हो तो ठीक है लेकिन यदि आपके बच्चे के साथ ऐसा हर बार हो रहा है तो फिर समस्या दूसरी है और यह किसी भी एज ग्रुप के बच्चे के साथ हो सकता है। दरअसल, बच्चे के स्कूल जाते वक्त रोने की समस्या बढ़ रही हो तो आपका बच्चा School Bullying का शिकार हो सकता है। आइए जानते हैं क्या है School Bullying?
स्कूल बुलिंग का अर्थ होता है परेशान करना, चिढ़ाना, धौंस जमाना या फिर डराना-धमकाना। इसमें कई बार नुकसान पहुंचाने की भावना भी शामिल होती है। कई बार बच्चे स्कूल बुलिंग का शिकार भी होते हैं, जिससे वे डरकर स्कूल जाने से डरते हैं। यदि आपका बच्चा लगातार स्कूल जाने के नाम पर रोता है तो आपको स्कूल में इसकी पड़ताल करनी चाहिए। 

 अक्सर बच्चे स्कूल में दूसरे बच्चों के जरिये या फिर जाने-अंजाने टीचर्स या फिर किसी स्टाफ के जरिये भी बुलिंग का शिकार होते हैं। इसे चाइल्ड बुलिंग कहा जाता है। यह वर्बल, फिजीकल, सोशल और साइकोलॉजिकल एग्रेसिव बिहेवियर के रूप में हो सकता है। यह अक्सर कमजोर बच्चे के साथ बार-बार हो सकता है। फिजिकल बुलिंग में  संभव है कि बच्चे के साथ लगातार मारपीट हो रही हो। उनकी वस्तुओं को नुकसान पहुंचाया जा रहा हो।

 साइकलॉजिकल बुलिंग में बच्चे का मजाक बनाया जाता है। उन्हें चिढ़ाया जाता है या फिर नीचा दिखाया जाता है इससे बच्चा सहम जाता है। मौखिक और लिखित में भी बच्चे के साथ गलत हरकतें दूसरे बच्चों द्वारा की जाती है। ताना मारना, किसी नाम से चिढ़ाना और उनके नाम की अफवाह उड़ाने का काम मनोवैज्ञानिक तौर पर उन्हें प्रभावित करता है। यदि यह आपके बच्चे के साथ हो रहा है तो बच्चे के व्यवहार में बदलाव दिखने लगता है।

 लक्षण के रूप में बच्चे स्कूल जाने के नाम से रोने लगते हैं और डरे सहमे नजर आते हैं। यदि वह डर जताएंगे नहीं या रोएंगे नहीं तो फिर बीमारी का बहाना बनाना शुरू करेंगे। जैसे पेट दर्द, बुखार। कई बार बच्चे अच्छा परफॉर्म नहीं करते हैं। लगातार उनका प्रदर्शन गिरता चला जाता है। ना पढ़ाई में उनका ध्यान लगता है और ना ही वे अच्छे नंबर 
ला पाते हैं। 

 लक्षण के रूप में बच्चे स्कूल जाने के नाम से रोने लगते हैं और डरे सहमे नजर आते हैं। यदि वह डर जताएंगे नहीं या रोएंगे नहीं तो फिर बीमारी का बहाना बनाना शुरू करेंगे। जैसे पेट दर्द, बुखार। कई बार बच्चे अच्छा परफॉर्म नहीं करते हैं। लगातार उनका प्रदर्शन गिरता चला जाता है। ना पढ़ाई में उनका ध्यान लगता है और ना ही वे अच्छे नंबर 
ला पाते हैं।