जैन भवन में आगम वाचना में आचार्य श्री जिन सुंदर सूरीश्वर जी मसा ने मार्गदर्शन दिया, पाप कर्म की अनुमोदना करना भी पाप कर्म इससे सदैव बचना चाहिए तभी आत्मा का कल्याण होगा,

नीमच,27सितम्बर (केबीसी न्यूज) किसी ने गाड़ी ली, बांग्ला लिया, साड़ी ली तो हमें उसकी अनुमोदन नहीं करना चाहिए ।क्योंकि पाप की अनुमोदना करना भी पाप कर्म को बढ़ाता है। इससे हमें सदैव बचना चाहिए तभी हमारी आत्मा का कल्याण हो सकता है। भूल वश कोई पाप हो जाए तो गुरु के पास जाकर जल्दी से जल्दी पहुंच कर प्रायश्चित ले लेना चाहिए ।हम जितना प्रायश्चित करने में देरी करेंगे उतना हमारे पाप कर्म भारी होकर बढ़ते रहेंगे।यह बात आचार्य जिन सुंदर सुरीश्वर श्री जी महाराज  ने कहीं ।वे जैन श्वेतांबर श्री भीड़ भंजन पार्श्वनाथ मंदिर श्री संघ ट्रस्ट पुस्तक बाजार  के तत्वावधान में  मिडिल स्कूल मैदान स्थित जैन भवन  में  45धर्म आगम पर्व पर11 दिवसीय श्रृंखला के अंतर्गत आयोजित धर्म सभा में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि हम रिश्तेदारों को प्रसन्न करने के लिए झूठे ही पाप की अनुमोदना करते हैं लेकिन उस अनुमोदन से पाप कर्म हमारा बढ़ेगा आत्मा हमारी कष्ट में आएगी इसलिए ऐसे पाप कर्म की अनुमोदना से सदैव बचना चाहिए तभी हमें आत्म कल्याण का मार्ग मिल सकता है। डॉक्टर शरीर के रोगों के चिकित्सक होते हैं साधु संत आत्मा के रोगों के चिकित्सक होते हैं। हमें शरीर के रोगों को रक्षा करने के साथ-साथ हमें आत्मा के रोगों की भी रक्षा करना होगी तभी हमारी आत्मा का कल्याण हो सकता है। गुरु का एक वाक्य भी गलत निकल जाए तो उन्हें उसका प्रायश्चित पाप कर्म का फल भुगतना ही पड़ता है। हमें पाप कर्मों को कमजोर करना है और पुण्य को बढ़ाना है तभी हमारे आत्मा का कल्याण हो सकता है।पूज्य आचार्य भगवंत श्री जिनसुंदर सुरिश्रवर जी मसा , धर्म बोधी सुरी श्री जी महाराज आदि ठाणा  8  का सानिध्य मिला। प्रवचन एवं धर्मसभा हुई। प्रतिदिन सुबह 9 बजे प्रवचन करने के  व साध्वी वृंद के दर्शन वंदन का लाभ नीमच नगर वासियों को मिला प्रवचन का धर्म लाभ लिया।