प्रतिक्रमण के प्रायश्चित को  समझना महत्वपूर्ण है -साध्वी सुचिता श्रीजी मसा, महावीर जिनालय ‌ में साध्वी  सोम्यरेखा की निश्रा में  धर्म आगम पर्व तप साधना प्रवाहित,


नीमच 27सितम्बर (केबीसी न्यूज़) मानव दिन भर पाप कर्म की गलती करता है और प्रतिक्रमण के बाद क्षमा मांग कर अपने पापो का प्रायश्चित करता है।  प्रतिक्रमण से प्रायश्चित की विधि पूर्वक साधना करने के बाद ही उसका सही फल हमें मिल सकता है अन्यथा हमारे पाप कर्म घटेंगे तो नहीं उल्टे बढ़ सकते हैं। इसलिए प्रतिक्रमण के प्रायश्चित की साधना के
विधी को समझना महत्वपूर्ण है। यह बात साध्वी सोम्यरेखा श्री जी महाराज साहब की सुशिष्या साध्वी   सुचिता श्रीजी मसा ने कही।वे जैन श्वेतांबर महावीर जिनालय ट्रस्ट विकास नगर  श्री संघ  के तत्वाधान में श्री महावीर जिनालय  आराधना भवन नीमच में धर्म आगम पर्व के उपलक्ष्य मेंआयोजित धर्म सभा में बोल रही थी। उन्होंने कहा कि‌ प्रतिक्रमण के साथ कर्तव्य को व्यक्ति को गहराई से समझना होगा क्योंकि संसार में रहते हुए व्यक्ति कदम कदम पर झूठ बोलकर पाप कर्म करता है और पाप नष्ट करने का साधन परमात्मा की साधना, पश्चाताप ,आलोचना, भावों की शुद्धि आवश्यक है ।सामायिक में कैसी भी स्थिति आ जाए 1 घंटे तक प्रभु आज्ञा का उल्लंघन नहीं करें ऐसा संकल्प प्रत्येक मनुष्य को लेना चाहिए। सामयिक के समय किसी का भी स्पर्श नहीं करने का संकल्प का भी पालन करना चाहिए तभी उस प्रतिक्रमण सामायिक का फल उसे सही मिल सकता है अन्यथा नहीं। यदि हम पापों का प्रायश्चित नहीं करते हैं तो पाप का भार हमारे जीवन पर बढ़ता रहता है और वह कर्म उदय में आते हैं और फिर या तो हम रोगी हो जाते हैं या कष्टों का सामना करते हुए परेशान रहते हैं। मनुष्य द्वारा पापों का प्रायश्चित करने पर पाप कर्म के बोझ से वह हल्का हो जाता है तीर्थंकरों से क्षमा मांग कर गुरु कृपा के कारण पाप हल्के हो जाते हैं। मुपति पडिलेन परिणाम के माध्यम से वह गुरु का स्मरण करता है और गुरु उन्हें पापों को क्षय करने के लिए प्रायश्चित का मार्गदर्शन बताते हैं। कोई पाप हो जाए तो प्रायश्चित करने के लिए 15 दिन में कोई भूल हो तो पक्की प्रतिक्रमण करना चाहिए ।फिर भी कोई पाप रह जाए तो  लिए चौमासी चवदस या संवत्सरी समापना पर्व महत्वपूर्ण  है इसका उपयोग हमें करना चाहिए।इस वर्षावास में सागर समुदाय वर्तिनी सरल स्वभावी दीर्घ संयमी प.पू. शील रेखा श्री जी म.सा.  की सुशिष्या प.पू.सौम्य रेखा श्री जी म सा, प.पू. सूचिता श्री जी म सा, प.पू.सत्वरेखा श्री जी म साआदि ठाणा 3 का चातुर्मासिक  तपस्या उपवास जप  व विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों के साथ प्रारंभ हो गया है।श्री संघ अध्यक्ष राकेश आंचलिया जैन, सचिव राजेंद्र बंबोरिया ने बताया कि प्रतिदिन 9 बजे‌ चातुर्मास में  धार्मिक विषयों पर ‌विशेष अमृत प्रवचन श्रृंखला का आयोजन हो रहा है । समस्त समाज जनअधिक से अधिक संख्या में पधार कर धर्म लाभ लेवें एवं जिन शासन की शोभा बढ़ावे।