भारत का संविधान खतरे में नहीं है और न ही कभी रहेगा- रिटायर्ड जस्टिस सक्‍सेना भारतीय संविधान में अब तक 127 संशोधन हो चुके हैं हमारा संविधान, हमारा अभिमान विषय पर कृति की व्‍याख्‍यानमाला संपन्‍न

नीमच। भारत का संविधान न कभी खतरे में था और न है और न ही कभी खतरे में रहेगा। संविधान में समयानुकूल संशोधन किए जाते हैं। भारतीय संविधान में निर्माण से अब तक करीब 127 बार संशोधन हो चुके हैं। हमारा संविधान हमारा अभियान था, है और हमेशा रहेगा। यह बात मप्र उच्‍च न्‍यायालय के रिटायर्ड जस्टिस गिरीराजदास सक्‍सेना ने कही। वे कृति की व्‍याख्‍यानमाला हमारा संविधान, हमारा अभियान में अपने विचार व्‍यक्‍त कर रहे थे।शहर की अग्रणी साहित्यिक, सांस्‍कृतिक एवं सामाजिक संस्‍था कृति ने 8 दिसंबर रविवार को शाम 5 बजे गायत्री मंदिर रोड स्थित गायत्री शक्तिपीठ सभाकक्ष में हमारा संविधान, हमारा अभियान विषय पर व्‍याख्‍यानमाला का आयोजन किया। मां सरस्‍वती के पूजन वंदन के साथ कार्यशाला की शुरुआत हुई। कृति अध्‍यक्ष इंजीनियर बाबूलाल गौड़ ने स्‍वागत भाषण दिया और संविधान के महत्‍व पर प्रकाश डाला। इसके उपरांत वरिष्‍ठ अधिवक्‍ता एवं साहित्‍यकार अख्‍तर अली शाह ने संविधान पर अपनी काव्‍य रचना प्रस्‍तुत की।पूर्व विधायक डॉ संपतस्‍वरूप जाजू ने संविधान निर्माण में नीमच जिले के योगदान की जानकारी देते हुए कहा कि पूर्व विधायक सीताराम जाजू संविधान निर्माण समिति के सदस्‍य रहे। उन्‍होंने बेहद कम आयु में देश व प्रदेश के हित में महत्‍वपूर्ण कार्य किए। देश की आजादी में अमिट योगदान दिया।मुख्‍य वक्‍ता व अतिथि रिटायर्ड जस्टिस गिरीराजदास सक्‍सेना ने कहा कि हमारा संविधान कई धर्मों के होने के बावजूद धर्मनिरपेक्ष है। संविधान में मौलिक अधिकारों के साथ नीति निर्देशक तत्‍वों को समाहित किया गया है। संविधान में धर्म, संस्‍कृति, पर्यावरण, शिक्षा, स्‍वास्‍थ्‍य सहित अन्‍य महत्‍वपूर्ण बिंदुओं को शामिल किया गया। देश के सभी नागरिकों का दायित्‍व है कि वे संविधान का पालन करें एवं संविधान का सम्‍मान करते हुए उस पर अभियान करें। संसद में हंगामा करना और बहिष्‍कार करना किसी भी बात का समाधान व हल नहीं हो सकता। वास्‍तविकता में जनप्रतिनिधियों को संविधान में प्रदत्‍त अधिकारों का उपयोग कर स्‍वयं की एवं जनता की बात को संसद में रखना चाहिए। रिटायर्ड जस्टिस सक्‍सेना ने वर्तमान में देश में भ्रष्‍टाचार को सबसे बड़ी समस्‍या बताया।व्‍याख्‍यानमाला की अध्‍यक्षता कर रहे वरिष्‍ठ समाजसेवी एवं मानव अधिकार आयोग के नीमच जिला संयोजक भानु दवे ने भी अपने विचार व्‍यक्‍त किए और मौजूद श्रोताओं से संविधान का सम्‍मान कर उसका पालन करने की बात कही। संचालन ओमप्रकाश चौधरी ने किया। अंत में आभार कृति सचिव महेंद्र त्रिवेदी ने माना। इस दौरान किशोर जेवरिया, प्रकाश भट्ट, रघुनंदन पाराशर, भरत जाजू, डॉ माधुरी चौरसिया, सत्‍येंद्र सिंह राठौड़, कमलेश जायसवाल, कैलाश बाहेती, पुष्‍पलता सक्‍सेना, गणेश खंडेलवाल, डॉ जीवन कौशिक, घनश्‍याम अंब, जंबू कुमार जैन, अजय भटनागर, मुकेश भटनागर, महेश पाटीदार, कीर्ति कुमार चौधरी, पवन दुबे, जगमोहन कटारिया, रमेश मोरे, श्‍यामसुंदर शर्मा, जिनेंद्र सुराना, राजकुमार जहांगीर शाह, चंद्रशेखर गौड़, जगदीश शर्मा, हितेंद्र सिंह प्‍लास, अशोक सक्‍सेना, कृष्‍णा शर्मा, हरीश उपाध्याय, बालचंद वर्मा, दिलीप शर्मा सहित अन्‍य विशेष रूप से मौजूद रहे।