जनपद पंचायत ने दस अलग-अगल बिंदुओं पर तथ्यात्मक जांच कर वीरेन्द्र अहीर को दी क्लीनचीट मामला-ग्राम हनुमंतिया व्यास के आबादी सर्वे नम्बर 134/3 भूमि आंबटन का

नीमच। दर्शन पिता राजेन्द्र शर्मा निवासी बंगला नम्बर 42, नीमच ने यादव गोल्डन ट्रांसपोर्ट संचालक वीरेन्द्र यादव के खिलाफ अनुविभागीय अधिकारी उपखण्ड राजस्व और पुलिस थाना नीमच सिटी को एक लिखित शिकायत कर जांच की मांग की थी, जो कि जांच उपरांत पुरी तरह मिथ्या और झुठी निकली है। जनपद पंचायत ने जांच कर वीरेन्द्र पिता ओमप्रकाश अहीर, शांतिदेवी पति ओमप्रकाश और जितेेन्द्र पिता ओमप्रकाश को क्लीनचीट दे दी है।दर्शन शर्मा ने शिकायत की थी कि ग्राम पंचायत भाटखेड़ा के ग्राम हनुमंतिया व्यास के आबादी सर्वे नम्बर 134/3 में अपात्र व्यक्तियों को भूखण्ड नियम विरूद्ध आबंटन किए गए है। अवैध बंगला धराशाही कर दोषियों के खिलाफ विभिन्न धाराओ में प्रकरण दर्ज होना चाहिए। अनुविभागीय विभाग और पुलिस ने इस शिकायत को जनपद पंचायत के सुपूर्द किया था। जनपद पंचायत ने इस मामले में अलग-अलग दस बिंदुओं पर जांच की है।यह थे जांच बिन्दुओं के तथ्यशिकायतकर्ता ने बताया कि ग्राम पंचायत भाटखेड़ा के तत्कालीन सरपंच सोहन व सचिव मदनलाल प्रजापत ने वीरेन्द्र अहीर, शांतिदेवी और जितेन्द्र अहीर को नियम विपरीत गांवठान में भूमि स्वामी अधिकार पर गृह स्थल के लिए प्रमाण पत्र सर्वे नम्बर 134/3 के भूखण्ड क्रमांक 1, 2 व 3 के लिए जारी किये गए है। जनपद पंचायत ने उक्त शिकायत के आधार पर तथ्यात्मक जांच कर बताया कि वीरेन्द्र अहीर, शांतिदेवी और जितेन्द्र अहीर के नाम भूखंड क्रं. 1, 2 व 3 नियमानुसार आंबटन किये गए है। वही शिकायत के आधार पर यह भी जांच की गई कि वीरेन्द्र अहीर को ग्राम पंचायत भाटखेड़ा ने भूखंड क्र. 1 प्रस्ताव क्र. 6 दिनांक 15 अगस्त 2012 को पट्टा दिया था, जो तत्कालीन समय में पात्र होना प्रतित होता है।शिकायतकर्ता की यह भी मांग की थी कि दिनांक 1 सितम्बर 2012 को वीरेन्द्र अहीर की सगी मॉ शांतिदेवी पति ओमप्रकाश अहीर ने ग्राम आबादी भूमि का पट्टा लेने के लिए आवेदन किया था। वही सरपंच सचिव ने मिलीभगत कर आबादी भूखंड क्र. 134/3 में भूखंड क्र. 2 जिसकी लंबाई 50 फीट व चौड़ाई 40 फीट कुल 2000 वर्गफीट का होना बताया गया है। शिकायत के बाद जनपद पंचायत की जांच में स्पष्ट हुआ कि, शांतिदेवी पति ओमप्रकाश अहीर को भूमि आबादी क्षैत्र में होने से ग्राम पंचायत ने 5 अक्टूबर 2012 को एक बैठक रख प्रस्ताव ठहराव क्र. 02 अनुसार आवासीय पट्टा जारी किया है। इसी प्रकार जांच में स्पष्ट हुआ कि ग्राम पंचायत ने 19 जून 2013 को प्रस्ताव ठहराव क्र. 4 के अनुसार जितेन्द्र अहीर को भी पट्टा जारी किया है।शिकायतकर्ता का आरोप था कि सरपंच और सचिव ने षड़यंत्र पूर्वक समस्त एक ही परिवार का तीन पृथक परिवर के रूप में समग्र पोर्टल पर पंजीयन किया है। जिसमें जांच में सपष्ट हुआ कि समग्र पोर्टल वर्ष 2013 से शासन ने लागू किया था। इसके पूर्व उक्त परिवार तीनों अलग -अलग ऑफ लाईन पंजीयन में दर्ज थे। उसी आधार पर पृथक - पृथक समग्र पोर्टल पर परिवार दर्ज किये गये है। शिकायतकर्ता की शिकायत भ्रामक है।शिकायत थी कि भूखंड क्र. 1, 2 व 3 पर नक्शे के मान से भवन निर्माण अनुमति षड़यंत्र पूर्वक दी गई है। जांच अनुसार पाया गया कि आवेदको द्वारा प्रस्तुत किये नक्शे पर भवन निर्माण अनुमति मांगी थी। प्रकरण अति महत्वपूर्ण होने के कारण ग्रामसभा में भेजा गया था। जिसमें प्रस्ताव क्र. 11 दिनांक 19 अगस्त 2014 को सर्वसहमति से पारित किया गया था। ग्रामसभा के निर्णय एवं प्रस्ताव सर्वोपरी है। ग्रामसभा के निर्णयानुसार सरपंच सचिव द्वारा अनुमति जारी की गई है। वही आरोप यह भी था कि तीन अलग व्यक्तियों को एक ही भवन निर्माण अनुमति देना नियम विरूद्ध है। जिस पर भी ग्रामसभा के निर्णय एवं प्रस्ताव को सर्वोपरी बताया जाकर शिकायत को जनपद पंचायत ने दरकिनार कर दिया है।वही शिकायत थी कि अनुविभागीय अधिकारी द्वारा उक्त भूखंड पर एक ही ले-आउट पास कर दिया गया है और भूमि क्र. 134/3 में पूर्व में भूखंड क्र. 2 नंदकिशोर अहीर के नाम आबंटन था और भूखंड क्र. 3 नाथूलाल अहीर के नाम था। जिनके दस्तावेज सरपंच औश्र सचिव ने गायब कर दिए है। उक्त शिकायत की जांच में अनुविभागीय अधिकारी उपखंड राजस्व ने बताया कि भूमि दिनांक 25 मार्च 2008 से आबादी भूमि सर्वे क्र 134 रकबा 0.80 को स्वीकृति दी गई थी। भूखंड क्र. 1 ग्राम पंचायत ने जारी नही किया है और ग्राम पंचायत ने भूखंड क्र. 02 से 14 तक भूखंड जारी किए है। भूखंड क्र. 01 वीरेन्द्र अहीर को जारी हुआ है। वही भूखंड क्र. 02 शांतिदेवी को और भूखंड क्र. 03 जितेन्द्र अहीर को नियमानुसार जारी किए गए है।शिकायतकर्ता का कहना था कि मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता की धारा 244 नियम 13 अनुसार किसी भी आबादी क्षैत्र में भवन निर्माण के लिए उपखंड अधिकरी की स्वीकृति लेना आवश्यक होती है। इसलिए उक्त आवंटन भूखंड क्र. 02 अवैध है। जांच में पाया गया कि ग्राम पंचायत के पास आबादी क्षैत्र में भवन निर्माण की स्वीकृति देना पूर्व से ही अधिकारी क्षैत्र में था। क्योंकि भूखंड क्र. 02 पर भवन निर्माण के लिए 15 अगस्त 2012 को अनुमति दी गई थी।आरोप यह भी था कि वीरेन्द्र अहीर यादव गोल्डन ट्रांसपोर्ट संचालित करता है और प्रतिवर्ष आयकर जमा करता है फिर भी गरीबी रेखा से जीवन यापन करने वाले राशन कार्ड में इनका नाम दर्ज है। जिस पर भी गहनता से पड़ताल कर जांच की गई तो पाया गया कि वर्ष 2003 की सूची अनुसार वीरेन्द्र अहीर गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले परिवार की गणना में दर्ज थे एवं आवासहीन सूची में भी इनका नाम दर्ज था। संज्ञान में आने पर विरेन्द्र अहीर का नाम बीपीएल सूची से हटा दिया गया है।