गोते खा रहा है नीमच का सीएम राइज स्कूल - किशोर जेवरिया


शिवराजसिंह सरकार ने जून 2021 में उन बच्चों के लिये जो दूर-दराज के गांव में हैं एवं वे गरीब जो निजी स्कूलों की भारी भरकम फीस व अन्य खर्चों का बोझ नहीं उठा सकते, उनके लिये सीएम राइज स्कूल खोलने की घोषणा की थी। नीमच जिला मुख्यालय के साथ जावद मनासा और सिंगोली में भी सीएम राइज स्कूल खोलने की घोषणा हुई थी। नीमच में मई 2022 में शास.कन्या उमावि नीमच केन्ट में अस्थाई रूप से जब तक कि स्कूल का नया भवन नहीं बने, सीएम राइज स्कूल का संचालन शुरू कर दिया गया था। इसमें केवल अभी लडकियां ही पढ रही हैं। जबकि सीएम राइज स्कूल नर्सरी से 12 वीं तक को-एजुकेशन प्रदान करता है। सिंगोली, मनासा और जावद में सीएम राइज स्कूल के नये भवन बनकर तैयार हो गये हैं और जावद क्षेत्र के विधायक ने तो अपने क्षेत्र में पांच और नये स्कूल डीकेन, रतनगढ, अठाना, नयागांव और सरवानिया महाराज में खोलने की स्वीकृति करवा ली।
नीमच जिला मुख्यालय के सीएम राइज स्कूल के लिये दो वर्ष से अधिक समय में जमीन नहीं तलाशी जा सकी और जो जमीन तलाशकर जिसके प्रस्ताव भेजे गए उनमें से एक जहां अभी सीएम राइज स्कूल संचालित हो रहा है। यानि शासकीय कन्या उमावि नीमच केन्ट और दूसरी हवाई पट्टी के पास। कन्या उमावि की जमीन जितनी सीएम राइज स्कूल के लिये चाहिए उतनी पर्याप्त नही ंहै दूसरा विकल्प हवाई पट्टी के पास का है। आईये जरा इस विकल्प पर विचार कर लें। यह पर्याप्त होने के साथ क्या उपयुक्त भी है ? हमारे क्षेत्र के विधायक भी इस दूसरे विकल्प के पक्ष में हैं। अब क्यों हैं यह पता नहीं ? अगर हम देखें कि जिस उद्देश्य को लेकर सीएम राइज स्कूल खोलने की योजना आई उसके मान से यह जगह कतई उपयुक्त नहीं है। कारण ! कारण यह है इसकी शहर से दूरी, इसके लिये बसें चलाई जाएगी। इस स्कूल में दो हजार विद्यार्थी पढेंगे। यह इसी मान से बनाया जा रहा है। दो हजार विद्यार्थियों के लिये दो, चार, आठ बसें भी पर्याप्त नहीं हो सकती। विद्यार्थियों के अभिभावक छोड आएंगे, यह इसलिए मुष्किल भरा है कि इस स्कूल में पढने वाले बच्चे-बच्चियां निम्न वर्ग अथवा मजदूर वर्ग के होते हैं जो अपनी मजदूरी पर चले जाते हैं जिनके पास लाने-ले जाने के लिए न वाहन होता है न समय। सरकार ने इन्हीं बच्चों को पढाने के लिये मध्यान्ह भोजन की व्यवस्था शुरू की थी। ताकि ये बच्चे स्कूल आएं इसीलिए दोपहर के भोजन की व्यवस्था की थी। क्या ये अपने बच्चो को इतनी दूर भेज पाएंगे ?अब आप सोचिये कि क्या ये उपयुक्त होगा ? प्रस्तावित सीएम राईज विद्यालय की जमीन के पास ही औद्योगिक क्षेत्र है, हवाई पट्टी है, जहां पायलेट ट्रेनिंग के विमान उडते रहते हैं। हिंगोरिया फाटक से फ्लाई ओवर बनना प्रस्तावित है। विधायकजी के अनुसार फ्लाईओवर ब्रिज साल दो साल में बन जाएगा। हम पांच साल मान लें, तो यहां यातायात का दबाव भी बढेगा जो बच्चों के आवागमन को असुरक्षित करेगा। ऐसा ही गलत निर्णय मेडिकल कॉलेज की जमीन को लेकर किया गया है। भविष्य में यहां पर कलेक्टर कार्यालय, जिला पंचायत, जिला न्यायालय, मेडिकल कॉलेज, कृषि उपज मण्डी से इतना यातायात बढेगा कि जो समस्या स्टेशन रोड स्थित कृषि उपज मण्डी के कारण हो रही थी, वह वहां भी होगी। यदि मेडिकल कॉलेज सगराना घाटी पर खोला जाता तो वहां मेडिकल कॉलेज, नर्सिंग कॉलेज, फार्मेसी कॉलेज, हॉस्टल, रेसीडेंस सभी के लिए पर्याप्त एवं उपयुक्त भूमि थी।तो फिर कौन सी जगह उपयुक्त है जो इन सभी समस्याओं से रहित हो ? मैं बताता हूं। शासकीय बालक उच्चतर माध्यमिक विद्यालय क्रमांक 2 नीमच केन्ट के पास लगभग 25-26 एकड जमीन है। वहां लडके-लडकियां के होस्टल भी हैं और लम्बा चौडा खेल मैदान भी है। उस स्कूल के भवन की बिल्डिंग काफी पुरानी होकर जर्जर हो चुकी है। आज नही ंतो कल वह भवन तोडना ही पडेगा। तो इस भवन को और उसके आसपास बने कमरों को डिस्मेन्टल कर वहां सीएम राइज स्कूल के मानक के अनुसार तीन मंजिला शानदार भवन बनाया जा सकता है। उसमें शेष जमीन भी यथावत रहेगी। वहां चलने वाली स्कूल को अस्थायी रूप से अन्यत्र शिफ्ट किया जा सकता है।दूसरी जगह जो लगभग 10 से 11 एकड है, जीवाजीराव छात्रावास जो काफी पुराना होकर अनुपयोगी ही है, उसकी जमीन पर काफी अतिक्रमण और रंगदारी अतिक्रमण हो रहे हैं वह जमीन अतिक्रमण मुक्त कराकर वहां भी सीएम राइज स्कूल बनाया जा सकता है।तीसरी जगह नीमच केन्ट मीडिल स्कूल की है, वहां भी भवन जर्जर होकर टूटा पडा है। सीएम राइज के हिसाब से वह जमीन कम हो सकती है। कम नहीं हो तो वह भी तीसरा विकल्प है।हमारे विधायक महोदय हवाई पट्टी के नजदीक जाने की जिद छोडकर इन विकल्पों पर विचार करें और जिला प्रशासन भी इस सम्बंध में रूचि लें तो सीएम राइज स्कूल में पढाने के लिये लालायित अभिभावकों, जो अपने बच्चों को ऐसे स्कूल में पढा नहीं सकते, जहां कवर्ड केम्पस हो, स्मार्टरूम हो, कम्प्यूटर लैब हो, म्युजिक आई एण्ड क्राफ्ट रूम हो जहां जिम व एनसीसी की सुविधा हो, स्वीमिंग पुल हो, उनके बच्चों को सीएम राइज स्कूल के रूप में एक स्कूल मिल जाएगा, जहां वे बच्चों को नाम मात्र के अथवा निःशुल्क अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दिला सकेंगेऔर सरकार की भी यही मंशा है कि उन बच्चों को ऐसी स्कूल में शिक्षा मिले।सरकारी स्कूल और प्रायवेट स्कूल का अंतर बच्चों को कुण्ठित मानसिकता में पहुंचा देता है, क्योंकि उसकी भी इच्छा होती है कि वह भी अच्छे स्कूल में अच्छी शिक्षा पाकर बडा अफसर बने, उसके मां बाप भी अच्छे कपडे पहने। मगर आर्थिक अभाव के कारण उसके सारे अरमान गरीबी की मिट्टी में दफन हो जाते हैं।