महिला दिवस 2020: देखिए कैसे एक महिला मीनाक्षी धाकड़ ने जॉब छोड़ कर किया मधुमक्खी पालन फिर बनी सफल महिला। पढ़े हमारी पूरी खबर 

नीमच। यह एक नीमच जिले की सफल महिला किसान की कहानी है, जो हम आपको महिला दिवसके अवसर पर बताने जा रहे है। महिला किसान ने अपने जीवन में कुछ कर गुजरने  की सोच से दिल्ली में वीजा काउंसलर की नौकरी छोड़, मधुमक्खी पालन में जुट गई। अपनी मेहनत और लगन के साथ मधुमक्खी पालन कर पहली महिला किसान बनकर राजस्थान और मध्य प्रदेश दोनों राज्यों का गौरव बढ़ा रही है।
मध्यप्रदेश के नीमच जिले से 20 किलोमीटर दूर अठाना नगर की बहू अपनी दिल्ली की वीसा काउंसलर की नौकरी छोड कर मधुमक्खी पालन कर रही है। जी हां, राजस्थान की बेटी और मप्र की बहू मीनाक्षी के.के धाकड़ दोनो प्रदेश की पहली मधुमक्खी पालन करने वाली महिला किसान बन कर दोनों राज्यों का गौरव बढ़ा रही है। उनका साहस महिला सशक्तिकरण का एक उदाहरण है। 50 बॉक्स के साथ शुरुआत करने वाली मीनाक्षी ने कहा कि भारत के कृषि कौशल विकास द्वारा मधुमक्खी पालन में 1 महीने का प्रशिक्षण प्राप्त करके मधुमक्खी पालन की शुरूवात  की है।
श्रीमती धाकड़ गाँव अठाना, विकास खंड जावद, जिला नीमच की निवासी हैं। किसान के घर से संबंध होने से खेती बाड़ी का कार्य बचपन से देखा है। अपनी पढाई पूरी करने के बाद, उन्होंने कुछ समय के लिए नौकरी भी किया। उन्होंने अपनी शादी के बाद, अगर आपको शहर से छोटे गांव में आना पड़ा तो अपनी योग्यता एवं रूची से स्वंय सक्षम बनकर दूसरों के लिए प्रेरणा बननें की सोची ताकि स्वयं के साथ-साथ गांव की महिलाओं और युवतियों के लिए भी आदर्श स्थापित कर सकें।
\श्रीमती धाकड़ अपनी आगे की बातों में बताती है की उन्होंने काफी कुछ सोचा समझा और उसके बाद मधूमक्खी पालन करने और शहद का व्यवसाय करना अपने लिए उचित पाया। जिसको वे अब आसानी से कर रही है। मधुमक्खी पालन के साथ-साथ खुद ने मार्केटिंग की जिम्मेदारी भी उठाने का सोचा, इसके लिए उन्होने कृषि विज्ञान केन्द्र, अंता से मधूमक्खी पालन का प्रषिक्षण लिया और मधुमुखी पालन की मूल बातें सीखीं और अपना व्यवसाय शुरू किया।
50 बक्से के साथ अपना व्यवसाय शुरू किया और इसका विस्तार किया, वर्तमान में 70 बक्से में उनका मधुमुखी पालन का कार्य किया जा रहा है। दूसरों को कच्चा माल देने के बजाय, उन्होंने अपना खुद का ब्रांड "दिर्घायु भव" बनाया, जो स्थानीय बाजार और सोशल मीडिया के माध्यम से उनके द्वारा बेचा जा रहा है। शहद की उच्च मांग के कारण, वह अपने पेशेवर कौशल का उपयोग करके ऋण लोन लेकर इस काम का विस्तार करना चाहती है। श्रीमती धाकड़ द्वारा अपने शहद को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर भी उपलब्ध कराने का प्रयास किया जा रहा है।
भविष्य में, वह मधुमक्खियों से शहद के अलावा परागकण, वेनम, रायल जेली का उत्पादन करने और शहद आधारित सौंदर्य प्रसाधन बनाने और विपणन करने की योजना बना रही है। इस तरह, एक पारंपरिक किसान परिवार से होने के बाद, श्रीमती धाकड़ भी महिलाओं के लिए एक प्रेरणास्रोत बन गई हैं, यह देखकर अन्य महिलाओं को भी स्वरोजगार में आने के लिए प्रेरित किया गया है।