मछली उत्पादन कम होने के चलते ठेकेदार ने काम छोड दिया

 

 

मनासा. गांधीसागर मे पिछले साल आई बाढ के कारण मछलीयो का टोटा होने से मछली उत्पादन कम होने के चलते ठेकेदार ने काम छोड दिया। उसके बाद महासंघ ने नए ठेके के लिए 6 बार टेंडर के लिए विज्ञप्ति निकाली गई। लेकिन ठेका नही हुआ। ऐसे मे वैकल्पिक व्यवस्था के तौर पर शासन ने लिप्टींक टेंडर प्रक्रिया अपनाई। 3 फरवरी से फिर से गांधीसागर मे मत्स्यखेट के लिए मछुआरो के उतरने की संभावना है। जिनसे महासंघ मछली खरीदेगा। इस बार महासंघ ने तलाफिया मछली को माइनर मछली की श्रेणी मे लिया है। जिसको  लेकर मछुआरो मे आक्रोश है। मछुआरो का कहना है कि तलाफिया मछली को माइनर मछली मे लेने से हमें आर्थिक रूप से नुकसान होगा। गांधीसागर मे 10 जनवरी से मछली पकडने का काम बंद है। काम बंद होने से मछुआरे बेरोजगार हो गए है। पहले लॉकडाउन मे 3 महिने काम बंद रहा था। ओर अब 25 दिन से काम नही मिलने से मछुआरो के सामने आर्थिक संकट गहराने लगा है। नई व्यवस्था के तहतः मछली पकडने का काम शुरू भी हो जाता है तो मछुआरो का कहना है कि ऐसे मे उनको तलाफिया मछली के माइनर मे लेने के महासंघ के निर्णय से आर्थिक नुकसान होगा। मछुआरो का कहना है कि लॉकडाउन मे मदद देने की बजाए हमेें सिर्फ बोनस ही दिया गया।
तिलाफिया मछली को माइनर मे लेने से होगा मछुआरो को नुकसान - गांधीसागर मे मछली का टेंडर नही होने की स्थिति मे शासन ने वैकल्पिक व्यवस्था के बतौर लिप्टींक टेंडर प्रक्रिया अपनाई गई है। जिसके अंर्तंगत महासंघ मछुआरो से मछली खरीदेगा। लेकिन नई व्यवस्था मे महासंघ ने एक तरफा निर्णय लेते हुए तलाफिया मछली एक किलो वजनी को माइनर मछली मे लिया है। जिससे मछुआरो को आर्थिक रूप से नुकसान होगा। वही महासंघ का कहना है कि तलाफिया मछली को छोडकर अन्य वैरायटी की मछलीयो की किमत पुरानी दर से मछुआरो को की जाएंगी। नए अनुबंध होने तक लिप्टींक प्रक्रिया से होगा मछली पकडने का काम - गांधीसागर बांध मे मत्स्यआखेट का टेंडर नही हो जाता है तब तक लिप्टींक टेंडर प्रक्रिया के माध्यम से ही काम चलेगा। महासंघ के अधिकारीयो का कहना है कि तीन फरवरी से मत्स्यखेट का काम ष्शुरू होने की संभावना है। महासंघ के मुताबिक 2820 पंजिकृत मछुआरे है। ओर वर्तमान मे 1100 मछुआरे मत्स्यखेट का काम करते है। 6 बार विज्ञप्ति जारी की फिर भी नही हुए टेंडर - पुराने ठेकेदार द्वारा काम छोडने के आवेदन के बाद से ही महासंघ ने 23 नवंबर को पहली विज्ञप्ति का प्रकाशन किया था। जिसमे नए टेंडर मे 12 करोड बढाकर 69 करोड का निकाला था। महासंघ के अधिकारीयो ने बताया कि अभी तक 6 बार विज्ञप्ति निकाल चुके है। ओर 7 वीं बार विज्ञप्ति का प्रकाशन किया जा रहा है। लगातार नए टेंडर के लिए विज्ञप्ति निकालने के बाद भी जब ठेका नही हुआ तो लिप्टींक टेंडर की प्रक्रिया अपनाई गई।
9 जनवरी से बेरोजगार है, आर्थिक तंगी से झुज रहे है - गांधीसागर मे मत्स्यखेट का काम करने वाले मछुआरे सत्यनारायण कोठारी एंव मोहन कोल ने बताया कि कोरोना मे 3 महिने से काम नही मिला ओर अभी भी 9 जनवरी से काम बंद होने से बेरोजगार होकर घर बैठे है। अभी महासंघ ने 1 किलो वजनी मछली को माइनर मे ले लिया है जिससे मछुआरो को नुकसान होगा। पिछले 10 साल से बडी मछली मे ही तलाफिया मछली का तौल हो रहा था। लेकिन अब माइनर मे लेने से हमें नुकसान होगा। कोरोना मे भी महासंघ ने मदद देने की बजाए सिर्फ बोनस बांट दिया था। महासंघ हमें काम दे ताकि रोजगार मिल सके। बाक्स तलाफिया को माइनर से नही हटाया तो करेगे आंदोलन
महासंघ ने तलाफिया मछली जिसका वजन 1 किलो है उसको माइनर से हटाकर बडी मछली की श्रेणी मे लिया जाएं। माइनर की श्रेणी मे लेने से मछुआरो को नुकसान होगा। महासंघ तलाफिया मछली एक किलो वजनी मछली को माइनर से हटाने का निर्णय नही लेगा तोे मछुआरो के हक मे आंदोलन किया जाएंगा। दिनेश पडायपंथी सदस्य जल भुमि अधिकार परिषद भोपाल बाक्स गांधीसागर मे नए टेंडर  के लिए 6 बार विज्ञप्ति बुलाई गई है। ठेका नही होने पर वैकल्पिक व्यवस्था के तौर पर लिप्टींक प्रक्रिया के तहतः टेंडर हुआ है। मत्स्य आखेट का काम 3 फरवरी से शुरू होने की संभावना है। तिलाफिया मछली को माइनर मछली की श्रेणी मे लिया गया है। ओर यह निर्णय पुरे म.प्र. मे लागु है। नियमानुसार की मछुआरो से मछली खरीदी जाएंगी। नए टेंडर के लिए 7 वीं बार भी विज्ञप्ति जल्द ही निकाली जाएंगी।