केंद्र सरकार कहां से लेती है उधार? इस साल लेना है 12 लाख करोड़ का कर्ज 

मोदी सरकार को लेना पड़ रहा भारी कर्ज 

नई दिल्ली ,सरकार ने बजट में यह ऐलान किया है कि वित्त वर्ष 2021-22 में करीब 12 लाख करोड़ रुपये का कर्ज लिया जाएगा. कर्ज की वजह से ही मौजूदा वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा रिकॉर्ड 9.5 फीसदी और अगले साल 6.8 फीसदी होगा. कोरोना संकट की वजह से देश के खजाने की हालत दयनीय हो गई है, इसलिए सरकार ने बजट में यह ऐलान किया है कि वित्त वर्ष 2021-22 में करीब 12 लाख करोड़ रुपये का कर्ज लिया जाएगा. मौजूदा साल यानी 2020-21 में भी सरकार को करीब इतना ही कर्ज लेना पड़ा है. आइए जानते हैं कि सरकार कर्ज किस तरह से लेती है कर्ज की वजह से ही मौजूदा वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा रिकॉर्ड 9.5 फीसदी होगा और यह अगले साल 6.8 फीसदी होगा. सितंबर 2020 तक भारत का कुल पब्लिक डेट यानी सार्वजनिक कर्ज 1,07,04,293.66 करोड़ (107.04 लाख करोड़) रुपये तक पहुंच गया. जो कि जीडीपी के करीब 68 फीसदी के बराबर है.इसमें आंतरिक कर्ज 97.46 लाख करोड़ और बाह्य कर्ज 6.30 लाख करोड़ रुपये का था. यही नहीं वित्त मंत्रालय के आर्थ‍िक मामलों के विभाग की एक रिपोर्ट के अनुसार पिछले दस साल में कर्ज-जीडीपी अनुपात 67 से 68 फीसदी के बीच रहा है. पब्लिक डेट में केंद्र और राज्य सरकारों की कुल देनदारी आती है जिसका भुगतान सरकार के समेकित फंड से किया जाता है.

क्यों लेती है सरकार कर्ज 

असल में सरकार का खर्च हमेशा उसकी आय से ज्यादा होता है. हर साल की परिस्थ‍ितियों के मुताबिक सरकार को श‍िक्षा,  स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचे जैसे कल्याण और विकास कार्यों पर भारी रकम खर्च करनी पड़ती है. इसलिए सरकार को उधार लेना पड़ता है.