स्कॉलरशिप के पैसे से फिर क़ैदियों को जेल से आज़ाद कराएगा आयुष!

आयुष को इस काम की प्रेरणा पुलिस मुख्यालय में पदस्थ अपनी मां से मिली. मां उनके हर जन्मदिन पर एक दिव्यांग बच्चे का ऑपरेशन करवाती हैं.

भोपाल का स्कूली छात्र आयुष स्वतंत्रता दिवस के लिए फिर तैयार है. ये तैयारी कहीं झंडा फहराने के लिए नहीं है, बल्कि कै़दियों को आज़ाद कराने की है. आयुष स्कूली छात्र है औरअपनी स्कॉलरशिप के पैसे से कैदियों का जुर्माना जमा कर उन्हें रिहा कराता है.
3 साल में 27 की रिहाई
भोपाल में रहने वाला आयुष अभी 11 वीं का छात्र है. वो 3 साल में अपने स्कॉलरशिप के पैसे से 27 कैदियों को रिहा करा चुका है. इनमें 12 इंदौर और 15 भोपाल के कैदी थे.उनकी रिहाई पर 60 हज़ार रुपए की जमानत आयुष ने ही दी. इस बार भी स्वतंत्रता दिवस पर 2 और कैदियों को रिहा कराने वाला है. आयुष का मानना है जिन अपराधियों को उनके किए की सज़ा मिल चुकी है और उनके व्यवहार में सकारात्मक बदलाव आया है ऐसे अपराधियों को रिहाई दिलवाने में कोई बुराई नहीं.


मिठाई का डिब्बा और गुलदस्ता
आयुष कैदियों को रिहा कराने के बाद उन्हें एक मिठाई का डिब्बा और गुलदस्ता देता है. उन्हें शपथ दिलाता है कि वो भविष्य में दोबारा कोई गलत काम नहीं करेंगे.आयुष  चार साल से विभिन्न माध्यमों से मिलने वाली स्कॉलरशिप की राशि जमा कर रहा है. उसे पहली स्कॉलरशिप 2012 में मलेशिया में आयोजित “नेशनल मेंटल मैथ्स अर्थमेटिक कॉम्पटीशन’ में फर्स्ट रनरअप रहने पर मिली थी.
जेल प्रशासन से संपर्क

आयुष जेल प्रशासन से संपर्क कर ऐसे कैदियों की जानकारी लेता है, जिनकी सजा पूरी हो गई है. लेकिन उनके या परिवार के पास जुर्माना भरने के पैसे नहीं हैं. इस वजह से वो जेल से नहीं छूट पा रहे हैं. ऐसे कैदियों को आयुष 26 जनवरी, 15 अगस्त और 2 अक्टूबर को रिहा करवाता है.
मां से मिली प्रेरणा
आयुष को इस काम की प्रेरणा पुलिस मुख्यालय में पदस्थ अपनी मां से मिली. आयुष बताते हैं कि मां उनके हर जन्मदिन पर एक दिव्यांग बच्चे का ऑपरेशन करवाती हैं.इस काम को देखकर ही उन्हें लोगों की मदद करने की प्रेरणा मिली.