श्रद्धा और विश्वास के बिना भक्ति मार्ग  में सफलता नहीं मिलती है - साध्वी विष्णु प्रिया,


नीमच 27 फरवरी (केबीसी न्यूज)। प्रभु की भक्ति और हरी का नाम हमें संसार सागर से पार करा देता है। प्रभु के प्रति सच्चा विश्वास और गुरु के प्रति सच्ची श्रद्धा के बिना जीवन में सफलता नहीं मिलती है। परमात्मा की कृपा और गुरु के ज्ञान बिनाघ् भक्ति मार्ग में सफलता नहीं मिलती है।यह बात संत श्री भक्ति प्रिया इंदौर की शिष्या एवं ईश्वरीय प्रेम आश्रम इंदौर की साध्वी  विष्णु प्रिया जी ने कहीं।वे मंगलवार 27फरवरी को भागेश्वर महादेव  आश्रम में सुबह 9 बजे आयोजित धार्मिक सत्संग प्रवचन में बोल रही थी। उन्होंने कहा कि भगवान केवल प्रेम भाव के भूखे होते हैं धन संपत्ति के नहीं। श्री कृष्ण ने दुर्योधन के छप्पन भोग को छोड़कर विधुरानी केघ् केले के छिलके को ग्रहण करना स्वीकार किया था क्योंकि उनका उनके प्रति प्रेम सद्भाव था। इसी प्रकार शबरी के झूठे बेर श्री राम ने स्वीकार किए थे क्योंकि उनका शबरी के प्रति प्रेम सद्भाव था। धर्म सत्संग और कथा में केवल सद्गुण  ही ग्रहण करना चाहिए तभी हम संसार रूपी सागर में से हंस की तरह  पवित्र पुण्य मोती प्राप्त कर सकते हैं।श्रद्धा और विश्वास के बिना भक्ति के क्षेत्र में सफलता नहीं मिलती है। कथा सत्संग में हमें ज्ञानी बनकर नहीं खाली बनकर जाना होगा तभी हमारे खाली घड़े में ज्ञान का सत्संग भरेगा।आत्मा और गुरु के प्रति सच्ची श्रद्धा हो तो कठिन से कठिन  असंभव कार्य भी संभव हो जाता है। संसार के लोगों को शिव परिवार से प्रेरणा लेनी चाहिए कि सभी अलग-अलग विचार के होने के बावजूद भी एक ही साथ शांति और आनंद के साथ परिवार की तरह रहते हैं। जीवन में जब कभी हमारे पास दुख आता है तोऔर कोई सहारा नहीं मिलता तब हम परमात्मा को याद करते हैं जबकि सुखी रहते हुए भी प्रतिदिन परमात्मा की भक्ति करना चाहिए।गुरु और परमात्मा का चिंतन करेंगे तो संसार का चिंतन स्वतः दूर हो जाएगा।हम संसार का तनाव अपने मन में ले लेते हैं इसलिए हम दुखी होते हैं।परमात्मा की भक्ति कर संसार के तनाव को भूल जाना चाहिए। जीवन में आनंद ही आनंद आ सकता है। अंतरात्मा में भक्ति का आनंद होगा तभी हम दूसरों को आनंद की अनुभूति करा सकते हैं। भजन कीर्तन सत्संग पहले स्वयं के आनंद के लिए होना चाहिए जिस प्रकार तुलसी दास जी ने रामायण की रचना स्वयं के सुख के लिए की थी।धर्म के प्रति सच्ची जागृति होगी तभी बच्चों में धार्मिक संस्कारों की जागृति आएगी। बच्चे यदि धर्म संस्कारों  के प्रति जागरूक होंगे तोआने वाली पीडी श्रीराम जैसे मर्यादा पुरुषोत्तम महान आदर्श व महान महापुरुष को याद रखकर अपने जीवन में संस्कारों को आगे बढ़ा सकती है। सनातन संस्कृति और धर्म से जोड़ना है होगा तभी उनके जीवन का कल्याण हो सकता है। साध्वी जी महाराज साहब ने कहा कि कभी पूछा किसी से क्यों जी रहे हैं ?क्यों खा रहे हैं ? हमें मनुष्य जीवन क्यों मिला है? करना क्या है ? तो किसी को पता नहीं करना क्या है, क्या प्राप्त करने आए हैं  ऐसे सभी प्रश्नों के उत्तर  (साध्वी विष्णु प्रिया जी) के मुखारविंद से श्रद्धालु भक्तों को मार्गदर्शन के रूप में प्रदान किया जा रहे हैं। संत श्री भक्ति प्रिया इंदौर की शिष्या ईश्वरीय प्रेम आश्रम इंदौर की साध्वी विष्णु प्रिया जी के अमृत प्रवचन श्री राम कथा पर आधारित सत्संग गंगा प्रतिदिन भागेश्वर महादेव आश्रम पर 24 फरवरी से 10 मार्च तक  सुबह 9  से 10ः30 बजे तक प्रवाहित हो रही हैं। सभी धर्म प्रेमी श्रद्धालु समय पर उपस्थित होकर सत्संग  धर्म लाभ का पुण्य  ग्रहण करें।