यूं मैदान मार दिए - किशोर जेवरिया 


नीमच। कोई उपलब्धि हांसिल कर लेता है तो कहा जाता है कि उसने मैदान मार लिया। यहां मैं मैदान मार लिया नहीं, मैदान मार दिए की बात कर रहा हूॅं। आप कहेंगे कि मैदान मार दिया और मार दिए क्या पहेली है ? तो लीजिये बिना किसी भूमिका के मूल मुद्दे पर आता हूं कि कैसे मैदान मार दिए पीढी को शायद पता नहीं हो पर इस पीढी के जन्मदाताओं को याद होगा कि पहले सरकारी अस्पताल के सामने हाट मैदान हुआ करता था जहां हर रविवार को हाट लगा करता था। अस्पताल के सामने जहां ट्रामा सेंटर हैए वहां से लगाकर जहां भी सब्जी मंडी के सामने जो दुकानें बनी हुई है वहां मैदान थाए जानवरों का हाट लगता था। दुकानों के सामने की सड़क के उस पार जहां सब्जी मंडी है वहां मैदान में सब्जी किराना मटकेए कपडेए चूड़ियां और भी रोजमर्रा के काम आने वाली वस्तुओं का हाट लगा करता था। बाद में यहां से जानवरों का हाट सेन्ट्रल स्कूल और कृषि उपज मंडी के बीच के मैदान में शिफ्ट कर दिया गया। मैदान खाली हो गया। हाट मैदान में कभी सर्कस भी लगा था। वहां बिना किसी योजना के जहां समझ आई बेतरतीब निर्माण कद दिये गये और वो मैदान मार दिया गया। सब्जी मंडी भी आज तक व्यवस्थित नहीं हो पाई। मैदान था बारादरी और नाले के बीच जहां किसी जमाने में सर्कस और थिएटर कम्पनी के नाटक हुआ करते थे। मशहूर फिल्म कलाकार अन्नू कपूर के पिताजी की थिएटर कम्पनी के नाटक भी यहीं हुए थे। अब उस मैदान में बेतरतीब दुकानें और बस स्टैंड हैं। बिना प्लानिंग के हेडगेवार बस स्टैंड में बनाई गई दुकानें हैं जो आज तक समझ में नहीं आई कि इसका सिर पैर किधर है घ् खैर ये मैदान भी मार दिया गया।बडा मैदान था जहां आज हुडको कॉलोनी और विकास नगर का आधा हिस्सा हैए यहां के मैदान में किसी जमाने में बैलगाडियों की रेस हुआ करती थी और भी कई तरह की प्रतियोगिताएं हुआ करती थीं। इसको आयोजित करने वाले रतनबाजी को लोग भूले नहीं होंगे। इस मैदान में पूरी प्लानिंग के साथ कॉलोनियां बनाई गईंए जो शहर के विकास में उपयोग हुई। यहां मैदान तो नहीं रहा पर मैदान का योजनाबद्ध उपयोग हुआ।हाट शिफ्ट किया गया था वह मंडी को नई जगह शिफ्ट नहीं कर पाने के निकम्मेपन की वजह से नगरपालिका ने मंडी के विस्तार के लिए दे दिया जहां आजकल लहसुन प्याज की मंडी लगती है।प्रषाल बनाने का प्रस्ताव पास कर दिया गया। इस परिषद ने भी इसके एक हिस्से में श्रद्धांजलि भवन बनाने के अधूरे प्रयास में एक हिस्से को मार दिया। उम्मीद थी कि नई परिषद खेल प्रशाल के काम को आगे बढाएगी। मगर इस परिषद ने आते ही बंगला नंण् 60 की बीस हजार वर्गफीट जमीन भाजपा कार्यालय को देने का प्रस्ताव पास कर पिछली परिषद द्वारा पास किये प्रस्ताव की हत्या कर दी।षहर के सबसे महत्वपूर्ण मैदान दशहरा मैदान पर। दशहरा मैदान एक ऐसा मैदान है जो न केवल दशहरा उत्सव बल्कि खेल मेले प्रदर्शनी राजनीतिक सामाजिक आयोजनों की महत्वपूर्ण स्थली है इसको भी टुकड़े टुकड़ों में में मारा जा रहा है। पहले यह पूरा मैदान खाली था फिर यहां एक आवासीय योजना बना दी गई और इसका एक कोना मार दिया गया।हैए वहां बीस से तीस वर्ग फीट पर अवैध रूप से कब्जा जरूर हैए पूरा मैदान गंदगी से भरा पडा रहता है। नगरपालिका फुटबॉल स्टेडियम होते हुए भी यहां फुटबॉल मैच करवाती है क्योंकि उससे स्टेडियम का मैदान ठीक नहीं हो रहा। इस मैदान का बहुत सा हिस्सा यूं मार दिया गया।जिन्होनें टाउन हॉल के सामने दूकानें बनाने का प्लान बनाया। नींव खोद दी गई। भला हो उसके आसपास के रहवासियों व जागरूक नागरिकों का जिन्होंने इस हिस्से को मरने से बचा लिया। वरना इस मैदान का एक हिस्सा और मार दिया जाता।नगरपालिका परिषद की अध्यक्ष को ठेले गुमटियों पर चाट पकौडे खाते लोग अच्छे नहीं लगते तो उन्होंने एक हाई फाई प्लान बनाया है कि इस मैदान में इन्दौर की छप्पन दुकानों की तर्ज पर दुकानें बनाई जाएंगी जहां लोग अपने चाट की आदत का लुत्फ उठाएंगे।दषहराए मेला प्रदर्शनी के लिये छोटा पडने लगा है। होना यह चाहिए कि इसे अतिक्रमण से मुक्त करवाकर इस मैदान को इसके मूल उद्देष्य दषहराए मेलेए प्रदर्षनीएघ् सामाजिकए राजनैतिक व अन्य आयोजनों के लिए खाली रखा जाना चाहियेए परन्तु इसे भी तिल.तिलकर मारा जा रहा है।केन्टए नीमच सिटी बनाए ग्वालटोली का यदि हम सर्वे करें तो कई मैदान मार दिए गए हैं। कॉलोनियों में छोडे गये खेल मैदानों को विभिन्न लोगों ने विभिन्न उद्देष्यों के लिए कब्जा कर मार दिया है और मारे जा रहे हैं। क्या ये मैदानों की हत्या आपको नहीं दिखती

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