पिता श्री ब्रह्माबाबा के 55 वें पुण्य स्मृति दिवस पर विभिन्‍न कार्यक्रम सम्पन्‍न


नीमच : अन्तर्राष्ट्रीय शांतिदूत ब्रह्माकुमारी संस्थान के संस्थापक पिताश्री ब्रह्माबाबा का 55 वां पुण्य स्मृति दिवस सारे विश्‍व में सद्‌भावना एवं प्रेम दिवस के रूप में मनाया गया । नीमच के ‘पावन धाम’ परिसर में ब्रह्ममुहुर्त्त में अमृतवेला 3 बजे से ही गहन राजयोग तपस्या का दौर प्रारंभ हुआ, जिसमें बड़ी संख्या में राजयोगी ब्रह्मावत्सों ने भाग लिया । तत्‌पश्‍चात प्रात:कालीन दिव्य सत्संग को संबोधित करते हुए राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी सविता दीदी ने ब्रह्माबाबा के त्याग एवं तपस्या के चरित्र वर्णन करते हु‍ए बताया कि अपने लौकिक जीवन में दादा लेखराज एक सम्पन्‍न जौहरी थे, जिनका देश व समाज में बहुत प्रतिष्ठित स्थान था, साथ ही राजघरानों में भी वे खासे लोकप्रिय थे, किन्तु सन्‌ 1936 में स्वयं भू निराकार शिव पिता परमात्मा द्वारा कराए गए सृष्टि परिवर्तन के दिव्य साक्षात्कार के पश्‍चात उन्होंने अपना सर्वस्व जीवन व लाखों करोड़ों की समस्त धन सम्पत्ति विश्‍व कल्याण की सेवा में समर्पित कर दी तथा मातृ शक्ति के उत्थान हेतु माताओं- बहनों का एक ट्रस्ट बनाकर सब कुछ उनको सौंप कर खुद को बिल्कुल न्यारा राजयोग तपस्या का राही बना लिया । उन्हीं के पुण्य प्रताप से ब्रह्माकुमारी संस्थान की स्थापना हुई जो कि आज महिलाओं द्वारा संचालित विश्‍व का सर्वोच्च एवं सर्वाधिक बड़ा अन्तर्राष्ट्रीय संस्थान है । आज ब्रह्माकुमारी संस्थान के 140 से अधिक देशों में हजारों सेवाकेन्द्र विश्‍व सद्‌भावना एवं संस्कार नवनिर्माण के साथ ही भारतीय आदि सनातन संस्कृति का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं । इस विशाल सभा को संबोधित करते हुए राजयोगी ब्रह्माकुमार सुरेन्द्र भाई ने ब्रह्माबाबा दिव्य चरित्र पर अनेक उद्धरण प्रस्तुत किये साथ ही राजयोग साधना से प्राप्त होने वाले अनेक सकारात्मक उपलब्धियों की जानकारी भी दी ।उपरोक्त कार्यक्रम में 500 से अधिक नियमित राजयोगी ब्रह्मावत्सों ने भाग लिया, जिनको प्रात:कालीन फल व केशरिया दूध के स्वल्पाहार के साथ ही पवित्र ब्रह्माभोजन प्रसादी भी वितरित की गई ।