प्रकृतिजनित भावी आपदाओं से विश्व को बचाने हेतु पर्यावरण संरक्षण आवश्यक - श्री परिहार


बिश्नोई समाज के बलिदान दिवस पर फोरजीरो स्थित प्राचीन पीपल वृक्ष पर की पूजा अर्चना कर विधायक परिहार ने अर्पित किए श्रद्धासुमन
नीमच। सिर खांटे रूख रहे तो भी सस्तो जाण अर्थात अगर सिर कटाकर भी पेड बच जाए तो भी यह सौदा बहुत सस्ता है। इस विचारधारा पर चलते हुए वर्षों पूर्व हरे पेडों को कटने से बचाने के लिए राजस्थान के जोधपुर जिले के खेजडली गांव में बिश्नोई समाज के 363 लोगों ने अपना बलिदान दे दिया था, जो कि विश्वभर में एक अनूठा उदाहरण है। उक्त आशय के उद्गार विधायक दिलीपसिंह परिहार ने व्यक्त किए।श्री परिहार ने बिश्नोई समाज के बलिदान दिवस पर फोरजीरो चौराहे पर स्थित 100 वर्ष पुराने पीपल वृक्ष की पूजा अर्चना कर उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए कहा कि बिश्नोई समाज के 363 लोगों ने हरे वृक्षों एवं प्रकृति की रक्षा के लिए अपनी जान की कुर्बानी दे दी थी। आज पर्यावरण प्रदूषण की वैश्विक समस्या के कारण मौसम और पारिस्थिकी तंत्र बिगड चुका है। वृक्ष हमें प्राणवायु देते हैं व इसके बदले में हमसे कुछ नहीं मांगते। अब समय आ गया है कि पर्यावरण संरक्षण से जुडे विभिन्न सामाजिक आन्दोलनों को और गति मिले, ताकि विश्व को प्रकृतिजनित विभिन्न भावी आपदाओं से बचाया जा सके।वरिष्ठ पत्रकार सुरेन्द्र सेठी ने कहा कि आमजन पीपल के इस वृक्ष की प्रतिदिन पूजा-अर्चना एवं नवदम्पत्ति इसकी परिक्रमा करने आते हैं। मांगलिक अवसरों पर पीपल के इस प्राचीन वृक्ष की पूजा अर्चना करने का विधान सनातन धर्म में है। इसे विरासती पेड के रूप में संरक्षित किया जाना आवश्यक है।पूर्व भाजपा जिलाध्यक्ष हेमन्त हरित ने बिश्नोई समाज के बलिदानी लोगों को श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए कहा कि यह पीपल का वृक्ष 100 वर्ष पुराना है तथा क्षेत्र के लोगों की इस पर गहरी आस्था है। पीपल में भगवान विष्णु का निवास मानकर इसकी लोग पूजा अर्चना करते हैं। इसके आसपास पत्थर का छोटा गोल चबूतरा बनाकर उसे संरक्षित करने की आवश्यकता है। पीपल के इस वृक्ष पर कई परिन्दों ने अपना घोंसला बना रखा है।पूर्व नपाध्यक्ष अरविन्द चौपडा ने भी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि ज्यादा से ज्यादा वृक्ष लगाना और किसी भी वृक्ष को नुकसान न पहुंचाना हमारे देश की गौरवषाली परम्परा का अटूट अंग रहा है। सनातन धर्म में कुछ वृक्षों को काटने की स्पष्ट मनाही है, जिनमें पीपल का स्थान सबसे उपर है। शास्त्रों में पीपल को हर तरह से उपयोगी माना गया है। इसके धार्मिक महत्व को आधार बनाकर इसे न काटने का नियम है। ज्यादा से ज्यादा ऑक्सीजन छोडकर पर्यावरण को लाभ पहुंचाने में पीपल का शायद ही कोई जोड हो। पीपल की इस महत्ता को ध्यान में रखकर भी शास्त्रों में इसे काटने की मनाही की गई है।लोकतंत्र सेनानी पंडित रंजन स्वामी ने वैदिक मंत्रोच्चार से पूजा अर्चना करवाई। इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार सुरेन्द्र सेठी, अमरसिंह जयंत, पारस कोठीफोडा, संजय षर्मा, संजय बटवाल, अशोक जिन्दल (अचकू), महावीर शर्मा, सुरेन्द्र सोनी, राजा बाबू (हनुमान चाट), हरविन्दरसिंह सलूजा, दारासिंह सलूजा, जसवंत रावत, सीताराम सैनी (कचौरी), तोसिफ सहित बडी संख्या में क्षेत्रवासी एवं सामाजिक कार्यकर्ता उपस्थित थे।