2024-12-12 10:42:13
ज्ञानोदय इंटरनेशनल में एच.आई.वी जागरुकता सेमिनार
नीमच। 5 अक्टूबर, ज्ञानोदय इंटरनेशनल स्कूल मे एचआईवी जागरुकता सेमिनार का आयोजन मध्यप्रदेश राज्य एड्स नियंत्रण समिति के तत्वाधान मे एस.टी.आई काउंसलर श्री पलाश माने द्वारा किया गया। यह सेमिनार उच्चतर कक्षाओ के छात्र-छात्राओं के लिए आयोजित किया गया। इस सेमिनार मे एच.आई.वी और एड्स के प्रति सतर्कता एवं अन्य जानकारी दी गई। एड्स के वायरस के संक्रमण के कारण होने वाला महामारी का रोग है । एड्स ना सिर्फ भारत में बल्कि समस्त विश्व में लोगों के लिए एक ऐसा भयावह शब्द बना हुआ है। जिसे सुनते ही भय के मारे पसीना छूटने लगता है एड्स का अर्थ हैं शरीर में रोगों से लड़ने की क्षमता कम होने से अप्राकृतिक रोगों के अनेक लक्षण प्रकट होना। एचआईवी संक्रमण के बाद एक ऐसी स्थिति बन जाती है कि इससे संक्रमित व्यक्ति की मामूली से मामूली बीमारियों का इलाज भी दूभर हो जाता है और रोगी मृत्यु की ओर खिंचा चला जाता है आज यह भयावह बीमारी एक पालतू जीव की भांति दुनिया भर के करोड़ों लोगों के शरीर में पल रही है। एड्स के प्रसार से लड़ने का केवल एक ही तरीका है और वह है जागरूकता पैदा करना। अज्ञानता एचआईवी के हस्तांतरण के कारण और तरीके हैं और यह केवल एक बुरी स्थिति को पूरी तरह से बदतर बना देता है। ऐसे में जरूरी है कि छात्र-छात्राओं को जागरूक किया जाए कि एड्स क्या है, यह कैसे फैलता है और संक्रमण को रोकने के लिए क्या किया जा सकता है। सेमिनार मे बताया गया की हमे एड्स के रोगियों के प्रति अमानवीय व्यवहार नहीं करना अपितु उनमें प्रति सकारात्मक सोच रखे। विद्यार्थियों को स्मार्ट बोर्ड में एड्स बीमारी के लक्षण एवं रोकथाम से संबंधित वीडियो भी दिखाकर समझाने का प्रयास किया गया।एड्स बीमारी के लक्षण बताते हुए विद्यार्थियों को बताया कि एच॰आई॰वी संक्रमण के बाद की स्थिति है, जिसमें मानव अपने प्राकृतिक प्रतिरक्षण क्षमता खो देता है। एड्स स्वयं कोई बीमारी नही है, पर एड्स से पीड़ित मानव शरीर संक्रामक बीमारियों, जो कि जीवाणु और विषाणु आदि से होती हैं, के प्रति अपनी प्राकृतिक प्रतिरोधी शक्ति खो बैठता है क्योंकि एच.आई.वी (वह वायरस जिससे कि एड्स होता है) रक्त में उपस्थित प्रतिरोधी पदार्थ लसीका-कोशो पर आक्रमण करता है। एड्स पीड़ित के शरीर में प्रतिरोधक क्षमता के क्रमशः क्षय होने से कोई भी अवसरवादी संक्रमण, यानि आम सर्दी जुकाम से ले कर क्षय रोग जैसे रोग तक सहजता से हो जाते हैं और उनका इलाज करना कठिन हो जाता हैं। एच.आई.वी. संक्रमण को एड्स की स्थिति तक पहुंचने में 8 से 10 वर्ष या इससे भी अधिक समय लग सकता है। एच.आई.वी से ग्रस्त व्यक्ति अनेक वर्षों तक बिना किसी विशेष लक्षणों के बिना रह सकते हैं।एचआईवी संक्रमण के कुछ ही हफ्तों के अंदर, बुखार, गले में खराश और थकान जैसे फ्लू के लक्षण दिख सकते हैं. फिर एड्स होने तक आमतौर पर रोग के कोई लक्षण दिखाई नहीं देते । एड्स के लक्षणों में वज़न घटना, बुखार या रात को पसीना, थकान और बार-बार संक्रमण होना शामिल हैं। हमें हर संभव इससे बचने का प्रयास करना चाहिए हमें एड्स रोगियों के प्रति सहानुभूति पूर्वक व्यवहार करना चाहिए । उन्हें शंका एवं नफरत की दृष्टि से कभी ना देखें। आखिर वह भी हमारी तरह इंसान है। एड्स का कोई इलाज मौजूद नहीं है, लेकिन एंटी-रेट्रोवायरल रेजीम (एआरवी) का सख्ती के साथ पालन करने से काफी हद तक रोग का बढ़ना कम हो जाता है और अतिरिक्त संक्रमण और जटिलताओं की भी रोकथाम होती है।
इस सेमिनार मे विद्यालय के समस्त शिक्षक व शिक्षिका उपस्थित थे। विद्यालय के प्राचार्य श्री प्रदीप कुमार पांडे ने कहा कि जहाँ एक ओर जीवन में प्रतिस्पर्धा एवं दुखों का अंबार है वहीं नाना प्रकार की बीमारियों से भी इंसान ग्रसित है, ऐसी ही एक बीमारी है एड्स जो इंसान को खोखला कर देती है, दुनिया, समाज यहाँ तक कि परिवार भी व्यक्ति का साथ छोड़ देता है। इस सेमिनार का उद्देश्य विद्यार्थियों को जागरूकता फैलाना है कि वे इस भयावह बीमारी से दूर रहें। किया। विद्यालय की निदेर्शिका डॉ. गरिमा चौरसिया ने इस अवसर पर कहा कि ज्ञानोदय सदैव से विद्यार्थियों के सर्वागीण विकास के लिए कृत सकंल्पित होकर कार्य कर रहा है। शारीरिक स्वास्थ्य उसी श्रृखंला का हिस्सा है। विशेषकर स्वास्थ्य के प्रति बच्चों की जागरूकता अनिवार्य है। जागरुकता सेमिनार की सफलता पर हर्ष व्यक्त करते हुए भविष्य में भी विद्यालय के ऐसे प्रयासों के लगातार जारी रहने की बात कही।