स्वर्ण आभा व रजत श्रृंगार में राम रूप में हुए ठाकुर जी के दिव्य दर्शन

 मेवाड़ के प्रसिद्ध श्री शेषावतार कल्लाजी वेदपीठ पर विराजित ठाकुरजी सहित पंच देवों का अष्टादश कल्याण महाकुंभ आषाढ़ कृष्णा अष्टमी रविवार को स्वर्ण आभा व रजत श्रृंगार में श्रीराम रूप में ठाकुरजी के दिव्य दर्शन के साथ हर्षोल्लास पूर्वक संपन्न हुआ। अभिजीत मुहूर्त में ठीक सवा 12 बजे शंखनाद, घण्टा गड़ियाल की ध्वनि के साथ समूचे वेदपीठ परिसर में गगनभेदी ठाकुरश्री कल्लाजी के अनवरत जयघोष के बीच ठीक 12 बजकर 32 मिनट पर जब मंदिर के गर्भगृह का पर्दा हटने लगा तो भक्तों की श्रृद्धा एवं उत्साह का कोई पारावार नहीं रहा। अपने आराध्य के राम राज्याभिषेक के दौरान विराजित श्रीराम रूप में स्वर्ण आभा के बीच रजत श्रृंगार में ठाकुरजी की मनमोहक छवि को हर कोई अपलक निहारते हुए मन में बसाता नजर आया। इस दौरान लगातार आतिशबाजी व पुष्पवर्षा से समूचा माहौल आनन्दोत्सव का प्रतीक बन गया। कल्याण नगरी के लिए यह तिथि दीपावली से भी कई अधिक महत्वपूर्ण बनती जा रही है। समूचा वेदपीठ परिसर सतरंगी फूलों से सुसज्जित था, जहां ठाकुरजी की महाआरती के साथ मेवाड़, मालवा, हाड़ौती, मारवाड़, गुजरात, वागड़ सहित देश के विभिन्न क्षेत्रों से आए हजारों भक्त राम रूप में ठाकुरजी के दर्शन कर आनंदित हो गए। इससे पूर्व मंदिर पर वैदिक मंत्रोच्चार के साथ ध्वजा चढ़ाई गई। इस मौके पर आचार्य वीरेन्द्र कृष्ण दोर्गादत्ती सहित ठाकुरजी के गादीपति, महंत, वेदपीठ के न्यासी, पदाधिकारी मौजूद थे।मातृ-पितृ पूजन ने शिव पार्वती और गणेश को जीवन्त कियावेदपीठ की परंपरानुसार भारतीय संस्कृति को जीवन्त बनाए रखने के लिए वाल्मिकी कथा मंडप में जब मातृ-पितृ पूजन किया गया तो वहां का दृश्य कैलाश स्थित शिव पार्वती व गणेश की कथा को जीवन्त करता नजर आया। सैकड़ों श्रृद्धालु अपने माता-पिता व दादा-दादी को शिव पार्वती मानकर वैदिक मंत्रोच्चार के साथ विधिवत पूजा अर्चना करते नजर आए। वहीं स्वयं ने गणेश स्वरूप में मातृ-पितृ पूजन का चरणामृत लेकर स्वयं को धन्य करते हुए माता-पिता की परिक्रमा कर आशीर्वाद लिया। इस मौके पर कई दर्शनार्थी ये सब देखकर अचंभित थे कि संभवतया प्रदेश में कल्याण नगरी पहला स्थान है, जहां माता पिता को इतना महत्व देते हुए प्रतिवर्ष उनकी पूजा कर परिवार में सम्यक भाव पैदा करने का अनुकरणीय कार्य किया जा रहा है।पूर्णाहुति के साथ श्रीराम महायज्ञ संपन्न कल्याण महाकुंभ के तहत पंच दिवसीय 51 कुण्डीय श्रीराम महायज्ञ रविवार को पूर्णाहुति के साथ संपन्न हो गया। श्रीराम यज्ञशाला में प्रात: समस्त देवी देवताओं की पूजा अर्चना के बाद युगल यजमानों द्वारा गौघृत एवं शाकल्य की आहूतियां दी गई। तत्पश्चात यज्ञ परंपरा अनुरूप पूर्णाहुति का भव्य अनुष्ठान संपन्न किया गया।कल्याण नगरी बनने लगी राम राज्य का पर्याय – स्वामी सुदर्शनाचार्य स्वामी सुदर्शनाचार्य ने भगवान श्रीराम के वनवास, रावण वध, अयोध्या आगमन, राज्याभिषेक सहित विभिन्न प्रसंगों का उल्लेख करते हुए कहा कि ठाकुरश्री कल्लाजी की अनुपम कृपा से कल्याण नगरी में होने वाले नानाविध अनुष्ठान एवं वेदपीठ के अनुकरणीय प्रयासों से कल्याण नगरी धीरे धीरे राम राज्य का पर्याय बनने लगी है। स्वामी सुदर्शनाचार्य रविवार को वाल्मिकी कथा मंडप में व्यासपीठ से संबोधित कर रहे थे। उन्होंने वेदपीठ के प्रयासों की भूरी भूरी प्रशंसा करते हुए कहा कि वर्तमान युवा पीढ़ी के रूप में वीर वीरांगनाओं को भारतीय संस्कृति से जोड़ने का प्रयास श्लाघनीय है। वहीं महाकुंभ के दौरान कई नवाचारों के माध्यम से संस्कृति को पोषित करते हुए जीवन्त बनाने का कार्य किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जो यश प्रदान करें वहीं यशोदा कहलाती है। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण वह यशोदा मैया है। जिनकी मातृ-पितृ के दौरान पूजा कर आशीर्वाद लिया गया। स्वामी जी ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि यहां के सभी धर्मावलंबी पूरी श्रद्धा के साथ राजाधिराज ठाकुरजी को अपना आराध्य मानते है। वहीं शोभायात्रा में पग पग हुआ स्वागत अभिनन्दन विश्व बंधुत्व का उदाहरण बन गया। वेदपीठ के ऐसे ही नवाचार से राम राज्य की कल्पना को साकार किया जा सकेगा। वहीं वैदिक संस्कृति को भी जीवन्त कर यह नगर विश्व के वैदिक मानचित्र पर अपनी विशिष्ट पहचान कायम करेंगा। उन्होंने रघुनाथ जी द्वारा प्रतिदिन माता पिता व गुरू को प्रणाम करने का उल्लेख करते हुए कहा कि ऐसा ही दृश्य यहां भी विध्यमान है। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को चाहिए कि वे माता पिता व गुरू को पूर्ण सम्मान देकर जीवन को धन्य करें। इस मौके पर पायलसिंह ने माता पिता की महिमा को अपनी काव्य रचना के माध्यम से प्रस्तुत किया। इस अवसर पर स्वामी सुदर्शनाचार्य ने कहा कि हनुमत जी ने श्रीराम के समस्त कार्य बना दिए वहीं भरत जैसा कोई भाई नहीं व हनुमत जैसा कोई सेवक नहीं को प्रतिपादित किया। उन्होंने राम के राज्याभिषेक सहित विभिन्न प्रसंगों का वर्णन करते हुए कथा को विराम दिया। इस मौके पर वेदपीठ की ओर से वाल्मिकी रामायण कथा के दौरान समूचे वातावरण को भजनानन्दी स्वर लहरियों से गूंजायमान करने के लिए पंडित प्रहलाद कृष्ण व उनके साथियों का व्यासपीठ द्वारा तुलसी माला व उपरणा ओढ़ाकर सम्मान किया गया।सतरंगी रोशनी से नहाई कल्याण नगरीठाकुरजी के अनन्य भक्त इंदौर की ज्योति शर्मा के सानिध्य में ठाकुरजी की संध्या महाआरती के पश्चात रात्रि ठीक 8 बजे पूरी कल्याण नगरी में सतरंगी आतिशबाजी की गई। वहीं 8 बजकर 20 मिनट पर समूचे वेदपीठ परिसर में सतरंगी आतिशबाजी कर समारोह को चमत्कृत करने का अनुकरणीय कार्य किया गया। वहीं सहस्त्र दीप ज्योति से व्यासपीठ की महाआरती के साथ ही ठाकुरजी की संध्या महाआरती की गई।सूर लहरी लेहरूदास वैष्णव के भजनों ने समा बांधाकल्याण महाकुंभ के अष्टम दिवस रात्रि में कथा मंडप में सूर लहरी, सूर सम्राट मेवाड़ की माटी के उदीयमान भजन गायक लेहरूदास के भजनों ने ऐसा समा बांधा कि रात्रि तीन बजे तक श्रोता भजनों की स्वर लहरियों में गौते लगाते रहे। लेहरूदास ने अपने ही अंदाज में बजरंग बाला चरणों से लगा दो, भजले राम-राम-राम की प्रस्तुति दी तो हजारों श्रोता तालियों से संगत करते और नृत्य कर ठाकुरजी को रिझाते नजर आए। इस दौरान उन्होंने देवशंकर कवि द्वारा रचित ठाकुरजी के प्रसिद्ध भजन आजो कवर कल्लाजी रण राठौड़, ढोला रे जमका आजो सुनाया तो समूचा वातावरण कल्याणमयी हो गया। ठाकुरजी के गगनभेदी जयकारों के साथ तालियों से संगत करते हुए श्रोताओं ने भी भजनों का खूब आनन्द लिया। सूर लहरी ने कल्लाजी की कुलदेवी नागणेचा रानी का आह्वान करते हुए सोना रा जांजर बाजना सुनाया तो समूचे वातावरण में मोबाईल की सतरंगी रोशनी शोभायमान थी। इसी दौरान उन्होंने भगवान श्रीराम, महादेव, पाबूजी राठौड़, सांवरिया जी सहित कई देवी देवताओं को मनभावन प्रस्तुति के साथ कल्याण नगरी के राजाधिराज की महिमा बखान करते हुए निंबाहेड़ा की धरती पे बैठ्या धन धन कल्लाजी राठौड़ सुनाकर भक्तों को भाव विभोर कर दिया। इतना ही नहीं कल्लाजी का आह्वान करते हुए उन्होंने धूप के धुवाड़े वेगा आवजो सुनाकर समूचे परिसर में ठाकुरजी की साक्षी को साबित करने में कोई कोर कसर नहीं रखी। इस अवसर पर भजन लेहरूदास का वैष्णव, प्रजापत, माली समाज, जांगिड़ समाज, बीआरडी ग्रुप सहित कई संस्थाओं द्वारा सम्मान किया गया। वहीं साथी कलाकार विक्रम वैष्णव, उम्मेद, विमल, योगेश, ललित राठौड़, किशन जांगिड़, सुरेश वैष्णव का भी तुलसी माला व उपरणा तथा स्मृति चिन्ह देकर सम्मान किया गया। नौ दिवसीय विभिन्न अनुष्ठानों के साथ अष्टादश कल्याण महाकुंभ हर्षोल्लास के साथ संपन्न हो गया। इस भव्य आयोजन के निर्विघ्न एवं शांतिपूर्ण संपन्न हो जाने पर वेदपीठ की ओर से जिला, उपखंड के पुलिस प्रशासन, चिकित्सा आयुर्वेद विभाग, प्रेस जगत, इस आयोजन को सफल बनाने में प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से सहयोग करने के लिए, आचार्यों, बटुकों, विद्वजनों, वीर वीरांगनाओं, शक्ति ग्रुप की बालिकाओं, कृष्णा शक्ति दल की माता बहनों, कल्याण भक्तों एवं कल्याण नगरीवासियों का हार्दिक आभार व्यक्त किया गया।