युवराज ने लिया अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास, कहा-सफलता से ज्यादा नाकामी मिली!

टीम इंडिया के दिग्गज ऑलराउंडर युवराज सिंह ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह दिया है. युवराज ने साउथ मुंबई होटल में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में यह ऐलान किया. युवराज ने अपने करियर की शुरुआत सौरव गांगुली की कप्तानी में साल 2000 में नैरोबी में की थी. युवी ने अपना आखिरी वनडे दो साल पहले 2017 जबकि आखिरी टेस्ट 2012 में खेला था.

करीब 19 साल के करियर काे अलविदा कहने के दौरान युवराज बेहद भावुक दिखे. उन्होंने बताया कि संन्यास के फैसले को लेकर उन्होंने सचिन तेंदुलकर और जहीर खान से बात की थी. इन दोनों ने ही कहा कि ये पूरी तरह तुम्हारा फैसला है. ये तुम्हें तय करना है कि कब संन्यास लेना है.  युवराज सिंह ने उस खिलाड़ी के नाम का भी खुलासा किया, जिन्हें वे अपनी तरह का बल्लेबाज मानते हैं. युवराज ने कहा कि मुझे ऋषभ पंत में अपनी झलक दिखाई देती है. पंत टीम इंडिया के विकेटकीपर बल्लेबाज हैं. पंत हालांकि वर्ल्ड कप की टीम में जगह नहीं बना सके हैं.



ये है युवराज के संन्यास की वजह 

माना जा रहा है कि भारत के सर्वश्रेष्ठ वनडे क्रिकेटरों में से एक युवराज ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से इसलिए संन्यास लिया क्योंकि वे आईसीसी से मान्यता प्राप्त विदेशी टी-20 लीग में फ्रीलांस करियर बनाना चाहते हैं. बीसीसीआई के एक सीनियर अधिकारी ने हाल में बताया था कि युवराज अंतरराष्ट्रीय और प्रथम श्रेणी क्रिकेट से संन्यास के बारे में सोच रहे हैं. वो जीटी-20 (कनाडा) और आयरलैंड व हालैंड में यूरो टी-20 स्लैम टूर्नामेंट में खेलने पर विचार कर रहे हैं. उन्हें इन टूर्नामेंटों में खेलने की पेशकश मिल रही हैं.




एक साल पहले तय कर लिया था

युवराज ने कहा कि संन्यास लेने के कई कारण हैं. मैं निराश था, मौका भी नहीं मिल रहा था, कुछ ठीक भी नहीं चल रहा था, इसलिए मैंने एक साल पहले ही तय कर लिया था कि मैं संन्यास ले लूंगा. युवराज सिंह आईपीएल 2019 में मुंबई इंडियंस की ओर से खेले थे. युवराज ने बताया कि वे पिछले कुछ समय से वे अपने करियर को लेकर कंन्फ्यूज चल रहे थे. उन्होंने एक साल पहले ही सोच लिया था कि ये उनका आखिरी आईपीएल होगा.

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इस खेल ने मुझे लड़ना सिखाया
बाएं हाथ के इस शानदार बल्लेबाज ने कहा कि मेरा इस खेल के साथ एक तरह से प्रेम और नफरत जैसा रिश्ता रहा। मैं शब्दों में बयां नहीं कर सकता कि वास्तव में यह मेरे लिये कितना मायने रखता है। इस खेल ने मुझे लड़ना सिखाया। मैंने जितनी सफलताएं अर्जित कीं, उससे अधिक बार मुझे नाकामी मिली पर मैंने कभी हार नहीं मानी.

तीन महत्वपूर्ण पड़ाव
युवराज सिंह ने अपने करियर के तीन महत्वपूर्ण क्षणों में विश्व कप 2011 की जीत और मैन ऑफ द सीरीज बनना, टी20 विश्व कप 2007 में इंग्लैंड के खिलाफ मैच में एक ओवर में छह छक्के जड़ना और पाकिस्तान के खिलाफ लाहौर में 2004 में पहले टेस्ट शतक को शामिल किया।

कैंसर पर बोले-हार मानने वाला नहीं था
विश्व कप 2011 के बाद कैंसर से जूझना युवराज सिंह के लिए सबसे बड़ी लड़ाई थी। इस बारे में उन्होंने कहा कि मैं इस बीमारी से हार मानने वाला नहीं था। हालांकि इसके बाद उनकी फॉर्म अच्छी नहीं रही। इस साल आईपीएल में वह मुंबई इंडियंस की तरफ से खेले, लेकिन उन्हें अधिक मौके नहीं मिले।



पापा ड्रैगन थे...पता नहीं मैच्योर हुए कि नहीं

युवराज ने संन्यास का ऐलान करते हुए कहा कि मेरे पापा शुरू से ही मेरे लिए एक ड्रैगन थे. मैं तो मेच्योर हो गया हूं, पता नहीं कि वे हुए हैं या नहीं. बता दें कि युवराज को क्रिकेट जगत का चमकता सितारा बनाने में उनके पिता योगराज सिंह का अहम योगदान है.

वनडे और टी-20 में छाए, टेस्ट में औसत रहा प्रदर्शन

युवराज सिंह टीम इंडिया के ऐसे चुनिंदा खिलाड़ियों में से रहे, जिन्होंने वनडे और टी-20 में जबरदस्त सफलता हासिल की. हालांकि टेस्ट में उनका प्रदर्शन औसत रहा. युवी ने देश के लिए 304 वनडे खेलकर 8701 रन बनाए. उन्होंने 14 शतक भी जड़े. वनडे क्रिकेट में युवराज के नाम 111 विकेट भी हैं. वहीं टी-20 क्रिकेट में युवराज ने 58 मैच खेलकर 117 रन बनाए. इस प्रारूप में उनके नाम 8 अर्धशतक हैं. टी-20 में उन्होंने 28 विकेट चटकाए हैं. टेस्ट क्रिकेट में युवराज का बल्ला खामोश रहा है. उन्होंने 40 टेस्ट खेलकर 1900 रन बनाए. इनमें 3 शतक भी शामिल हैं.

युवी ने जिताए हैं टीम इंडिया को दो वर्ल्ड कप

1983 में कपिल देव की कप्तानी में वर्ल्ड कप जीतने के बाद से विश्व खिताब के लिए तरस रही टीम इंडिया का कप का सूखा युवराज सिंह की बदौलत ही खत्म हो सका. तब टीम इंडिया ने 2007 में टी-20 वर्ल्ड कप में उन्होंने 6 मैचों में 148 रन बनाए. इसी टूर्नामेंट में उन्होंने इंग्लैंड के तेज गेंदबाज स्टुअर्ट ब्रॉड की छह गेंदों पर छह छक्के जड़े थे. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उनकी ताबड़तोड़ पारी की बदौलत ही टीम इंडिया फाइनल में प्रवेश कर सकी थी. वहीं 2011वर्ल्ड कप में युवराज मैन ऑफ द टूर्नामेंट रहे थे.